मेष लग्न में केतु द्वादश स्थान में

मेष लग्न में केतु की स्थिति द्वादश स्थान में


मेष लग्न में द्वादश स्थान में केतु मीन राशि का होता है। मीन राशि जलसंज्ञक एवं द्विस्वभाव राशि होती है। ऐसा जातक जमीन-जायदाद का स्वामी, जातक का गृहस्थ जीवन सुखी होगा। जातक ऐश्वर्यवान व धनवान होगा। जातक सन्तान से सुख पाने वाला, शत्रुओं पर विजय पाने वाला पराक्रमी à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ होगा।

अनुभव - 'भोज संहिता' के अनुसार मीन राशिगत द्वादशस्थ केतु जातक को नित- नूतन वस्तु की जानकारी एवं बाहरी यात्राओं हेतु लालायित रखेगा।

निशानी- à¤à¤¶à¥‹ आराम जद्दी विरासत पांव में ऐड़ी के पास शहद जैसे रंग का तिल का दाग होगा।

दशा- -केतु की दशा में जातक तीर्थयात्राएं करेगा। परोपकार के कार्य करेगा। दशा शुभ रहेगी, परन्तु बृहस्पति की स्थिति ज्यादा सटीक फलादेश में सहायक होगी। विशेष-सत्यजातकम् अध्याय श्लोक के अनुसार केतु बारहवें जातक को अपनी दशा में धनवान बनाता है।

केतु का अन्य ग्रहों से संबंध

1. केतु + सूर्य केतु के साथ सूर्य जातक को विद्या में, संतान में, खासकर पुत्र सुख में बाधा पहुंचाएगा।

2. केतु + चन्द्र-केतु के साथ चन्द्रमा जातक को माता के सुख से वंचित करेगा।

3. केतु + मंगल-केतु के साथ मंगल कुंडली को 'डबल मंगलीक' कर देगा। जातक के विवाह में विलम्ब होगा।

4. केतु+बुध-केतु के साथ बुध 'पराक्रमभंग योग' बनाएगा। जातक धनवान एवं समाज का प्रभावशाली व्यक्ति होगा पर मानभंग का भय बना रहेगा।

5. केतु + बृहस्पति - केतु के साथ बृहस्पति 'विपरीत राजयोग' बनाएगा। जातक धनवान एवं ऐश्वर्यशाली होगा।

6. केतु + शुक्र-केतु के साथ शुक्र जातक को फिजूलखर्ची बनाएगा। जातक परोपकारी व दानी होगा।

7. केतु + शनि केतु के साथ शनि 'व्यापारभंग योग' बनाता है। जातक का जमा-जमाया व्यापार एक बार उखड़ेगा

उपाय-

1. केतु कवच का नित्य पाठ करें।

2. 12 दिन तक निरन्तु गुरुवार को शुरू करके 12 केले प्रतिदिन धर्मस्थान से भेंट करने पर केतु का अशुभत्व नष्ट होता है।

3. 12 दिन तक निरन्तर 12 बार प्रतिदिन दूध व शहद में अंगूठा भिगोकर चूसने से केतु अनुकूल होता है ऐसा लाल किताब वाले कहते हैं।

4. केतु के तांत्रिक मंत्रों का जाप करें।

 

 

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