पतà¥à¤¨à¥€à¤•à¤¾ परितà¥à¤¯à¤¾à¤— कदापि उचित नहीं bhag 2 राजाने मà¥à¤¨à¤¿à¤•à¥‹ कृतजà¥à¤žà¤¤à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® किया और उनके बताये हà¥à¤ वनमें जाकर बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¤ªà¤¤à¥à¤¨à¥€à¤•à¤¾ पता लगाया। वह अबतक चरितà¥à¤°à¤¸à¥‡ गिरी नहीं थी। राकà¥à¤·à¤¸ उसे केवल इसीलिये ले आया था कि बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥ होनेके कारण सà¤à¥€ यजà¥à¤žà¥‹à¤‚में ऋतà¥à¤µà¤¿à¤œ बनता था और जहाठकहीं वह राकà¥à¤·à¤¸ जाता, उसे रकà¥à¤·à¥‹à¤˜à¥à¤¨ मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¤—ा दिया करता था, जिससे उसे परिवारसहित à¤à¥‚खों मरना पड़ता था। राकà¥à¤·à¤¸ इस बातको जानता था कि कोई à¤à¥€ पà¥à¤°à¥à¤· पतà¥à¤¨à¥€à¤•à¥‡ बिना यजà¥à¤ž-करà¥à¤® नहीं कर सकता; इसलिये बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¤•à¥‡ करà¥à¤®à¤®à¥‡à¤‚ विघà¥à¤¨ डालनेके लिये ही वह उसकी पतà¥à¤¨à¥€à¤•à¥‹ हर लाया था। राजाको पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ करनेके लिये वह बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¤ªà¤¤à¥à¤¨à¥€à¤•à¥‹ पà¥à¤¨à¤ƒ अपने पतिके घर छोड़ आया और साथ ही उसके शरीरमें पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करके उसके दà¥à¤·à¥à¤Ÿ सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µà¤•à¥‹ à¤à¥€ खा गया, जिससे वह सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ पतिके अनà¥à¤•à¥‚ल बन गयी। अब राजाको अपनी पतà¥à¤¨à¥€à¤•à¥‡ विषयमें चिनà¥à¤¤à¤¾ हà¥à¤ˆ और वे उसका पता लगानेके लिये पà¥à¤¨à¤ƒ ऋषिके पास पहà¥à¤à¤šà¥‡à¥¤ ऋषिने राजाको उसका सारा वृतà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥à¤¤ बता दिया और पतà¥à¤¨à¥€- तà¥à¤¯à¤¾à¤—का दोष वरà¥à¤£à¤¨ करते हà¥à¤ पà¥à¤¨à¤ƒ उनसे कहा- 'राजनॠ! मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚के लिये पतà¥à¤¨à¥€ धरà¥à¤® à¤à¤µà¤‚ कामकी सिदà¥à¤§à¤¿à¤•à¤¾ कारण है। बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£, कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯, वैशà¥à¤¯ अथवा शूदà¥à¤°- कोई à¤à¥€ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न हो, पतà¥à¤¨à¥€à¤•à¥‡ न होनेपर वह करà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤·à¥à¤ ानके योगà¥à¤¯ नहीं रहता। जैसे पतà¥à¤¨à¥€à¤•à¥‡ लिये पतिका तà¥à¤¯à¤¾à¤— अनà¥à¤šà¤¿à¤¤ है, उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚के लिये पतà¥à¤¨à¥€à¤•à¤¾ तà¥à¤¯à¤¾à¤— à¤à¥€ उचित नहीं।' राजाके पूछनेपर ऋषिने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ यह à¤à¥€ बताया कि पाणिगà¥à¤°à¤¹à¤£à¤•à¥‡ समय सूरà¥à¤¯, मंगल और शनिकी उनपर तथा शà¥à¤•à¥à¤° और गà¥à¤°à¥à¤•à¥€ उनकी पतà¥à¤¨à¥€à¤ªà¤° दृषà¥à¤Ÿà¤¿ थी। उस मà¥à¤¹à¥‚रà¥à¤¤à¤®à¥‡à¤‚ चनà¥à¤¦à¥à¤°à¤®à¤¾ और बà¥à¤§ à¤à¥€, जो परसà¥à¤ªà¤° शतà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤µ रखनेवाले हैं, उनकी पतà¥à¤¨à¥€à¤•à¥‡ अनà¥à¤•à¥‚ल थे और उनके पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥‚ल । इसीलिये उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपनी रानीकी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥‚लताका कषà¥à¤Ÿ à¤à¥‹à¤—ना पड़ा। रानीको वापस लानेका पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ करनेके पूरà¥à¤µ राजा उस ऋतà¥à¤µà¤¿à¤œ बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¤•à¥‡ पास गये, जिसकी पतà¥à¤¨à¥€ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने राकà¥à¤·à¤¸à¤¸à¥‡ वापस दिलवायी थी और उससे अपनी पतà¥à¤¨à¥€à¤•à¥‹ अनà¥à¤•à¥‚ल बनानेका उपाय पूछा। बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¤¨à¥‡ राजासे मितà¥à¤°à¤µà¤¿à¤¨à¥à¤¦à¤¾ नामक यजà¥à¤ž करवाया। तब राजाने उसी राकà¥à¤·à¤¸à¤•à¥‡ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾, जो उस बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¤•à¥€ पतà¥à¤¨à¥€à¤•à¥‹ हर ले गया था, अपनी पतà¥à¤¨à¥€à¤•à¥‹ à¤à¥€ बà¥à¤²à¤µà¤¾ लिया। वह नागलोकमें नागराज कपोतके यहाठसà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ थी। नागराज उसे अपनी पतà¥à¤¨à¥€ बनाना चाहता था; किंतॠउसकी पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¨à¥‡ यह सोचकर कि वह उसकी माà¤à¤•à¥€ सौत बनने जा रही है, उसे छिपाकर अपने पास रख लिया, जिससे उसका सतीतà¥à¤µ अकà¥à¤·à¥à¤£à¥à¤£ बना रहा। मितà¥à¤°à¤µà¤¿à¤¨à¥à¤¦à¤¾ नामक यजà¥à¤žà¤•à¥‡ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¸à¥‡ उसका सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ à¤à¥€ बदल गया और वह अब अपने पतिके सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ अनà¥à¤•à¥‚ल बन गयी । तदननà¥à¤¤à¤° उसके गरà¥à¤ à¤à¤• महानॠतेजसà¥à¤µà¥€ पà¥à¤¤à¥à¤°à¤•à¤¾ जनà¥à¤® हà¥à¤†, जो औतà¥à¤¤à¤® नामसे विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ हà¥à¤† और जो तीसरे मनà¥à¤µà¤¨à¥à¤¤à¤°à¤®à¥‡à¤‚ मनà¥à¤•à¥‡ पदपर पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ित हà¥à¤†à¥¤ ये औतà¥à¤¤à¤® मनॠइतने पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¶à¤¾à¤²à¥€ हà¥à¤ कि मारà¥à¤•à¤£à¥à¤¡à¥‡à¤¯à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤£à¤®à¥‡à¤‚ इनके समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤°à¥à¤®à¥‡ लिखा है—जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ राजा उतà¥à¤¤à¤®à¤•à¥‡ उपाखà¥à¤¯à¤¾à¤¨ और औतà¥à¤¤à¤®à¤•à¥‡ जनà¥à¤®à¤•à¥€ कथा पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ सà¥à¤¨à¤¤à¤¾ है, उसका कà¤à¥€ किसीसे दà¥à¤µà¥‡à¤· नहीं होता। यही नहीं, इस चरितà¥à¤°à¤•à¥‹ सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ और पढ़नेवालेका कà¤à¥€ अपनी पतà¥à¤¨à¥€, पà¥à¤¤à¥à¤° अथवा बनà¥à¤§à¥à¤“ंसे वियोग नहीं होता ।
पतà¥à¤¨à¥€à¤•à¤¾ परितà¥à¤¯à¤¾à¤— कदापि उचित नहीं bhag 2
राजाने मà¥à¤¨à¤¿à¤•à¥‹ कृतजà¥à¤žà¤¤à¤¾à¤ªà¥‚रà¥à¤µà¤• पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® किया और
उनके बताये हà¥à¤ वनमें जाकर बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¤ªà¤¤à¥à¤¨à¥€à¤•à¤¾ पता लगाया। वह अबतक चरितà¥à¤°à¤¸à¥‡ गिरी नहीं थी। राकà¥à¤·à¤¸ उसे केवल इसीलिये ले आया था कि बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥ होनेके कारण सà¤à¥€ यजà¥à¤žà¥‹à¤‚में ऋतà¥à¤µà¤¿à¤œ बनता था और जहाठकहीं वह राकà¥à¤·à¤¸ जाता, उसे रकà¥à¤·à¥‹à¤˜à¥à¤¨ मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¤—ा दिया करता था, जिससे उसे परिवारसहित à¤à¥‚खों मरना पड़ता था। राकà¥à¤·à¤¸ इस बातको जानता था कि कोई à¤à¥€ पà¥à¤°à¥à¤· पतà¥à¤¨à¥€à¤•à¥‡ बिना यजà¥à¤ž-करà¥à¤® नहीं कर सकता; इसलिये बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¤•à¥‡ करà¥à¤®à¤®à¥‡à¤‚ विघà¥à¤¨
डालनेके लिये ही वह उसकी पतà¥à¤¨à¥€à¤•à¥‹ हर लाया था। राजाको पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ करनेके लिये वह बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¤ªà¤¤à¥à¤¨à¥€à¤•à¥‹ पà¥à¤¨à¤ƒ अपने पतिके घर छोड़ आया और साथ ही उसके शरीरमें पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करके उसके दà¥à¤·à¥à¤Ÿ सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µà¤•à¥‹ à¤à¥€ खा गया, जिससे वह सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ पतिके अनà¥à¤•à¥‚ल बन गयी। अब राजाको अपनी पतà¥à¤¨à¥€à¤•à¥‡ विषयमें चिनà¥à¤¤à¤¾ हà¥à¤ˆ और वे उसका पता लगानेके लिये पà¥à¤¨à¤ƒ ऋषिके पास पहà¥à¤à¤šà¥‡à¥¤ ऋषिने राजाको उसका सारा वृतà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥à¤¤ बता दिया और पतà¥à¤¨à¥€- तà¥à¤¯à¤¾à¤—का दोष वरà¥à¤£à¤¨ करते हà¥à¤ पà¥à¤¨à¤ƒ उनसे कहा- 'राजनॠ! मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚के लिये पतà¥à¤¨à¥€ धरà¥à¤® à¤à¤µà¤‚ कामकी सिदà¥à¤§à¤¿à¤•à¤¾ कारण है। बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£, कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯, वैशà¥à¤¯ अथवा शूदà¥à¤°- कोई à¤à¥€ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न हो, पतà¥à¤¨à¥€à¤•à¥‡ न होनेपर वह करà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤·à¥à¤ ानके योगà¥à¤¯ नहीं रहता। जैसे पतà¥à¤¨à¥€à¤•à¥‡ लिये पतिका तà¥à¤¯à¤¾à¤— अनà¥à¤šà¤¿à¤¤ है, उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚के लिये पतà¥à¤¨à¥€à¤•à¤¾ तà¥à¤¯à¤¾à¤— à¤à¥€ उचित नहीं।' राजाके पूछनेपर ऋषिने उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ यह à¤à¥€ बताया कि पाणिगà¥à¤°à¤¹à¤£à¤•à¥‡ समय सूरà¥à¤¯, मंगल और शनिकी उनपर तथा शà¥à¤•à¥à¤° और गà¥à¤°à¥à¤•à¥€ उनकी पतà¥à¤¨à¥€à¤ªà¤° दृषà¥à¤Ÿà¤¿ थी। उस मà¥à¤¹à¥‚रà¥à¤¤à¤®à¥‡à¤‚ चनà¥à¤¦à¥à¤°à¤®à¤¾ और बà¥à¤§ à¤à¥€, जो परसà¥à¤ªà¤° शतà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤µ रखनेवाले हैं, उनकी पतà¥à¤¨à¥€à¤•à¥‡ अनà¥à¤•à¥‚ल थे और उनके पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥‚ल । इसीलिये उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ अपनी रानीकी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥‚लताका कषà¥à¤Ÿ à¤à¥‹à¤—ना पड़ा।
रानीको वापस लानेका पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ करनेके पूरà¥à¤µ राजा उस ऋतà¥à¤µà¤¿à¤œ बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¤•à¥‡ पास गये, जिसकी पतà¥à¤¨à¥€ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने राकà¥à¤·à¤¸à¤¸à¥‡ वापस दिलवायी थी और उससे अपनी पतà¥à¤¨à¥€à¤•à¥‹ अनà¥à¤•à¥‚ल बनानेका उपाय पूछा। बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¤¨à¥‡ राजासे मितà¥à¤°à¤µà¤¿à¤¨à¥à¤¦à¤¾ नामक यजà¥à¤ž करवाया। तब राजाने उसी राकà¥à¤·à¤¸à¤•à¥‡ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾, जो उस बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¤•à¥€ पतà¥à¤¨à¥€à¤•à¥‹ हर ले गया था, अपनी पतà¥à¤¨à¥€à¤•à¥‹ à¤à¥€ बà¥à¤²à¤µà¤¾ लिया। वह नागलोकमें नागराज कपोतके यहाठसà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ थी। नागराज उसे अपनी पतà¥à¤¨à¥€ बनाना चाहता था; किंतॠउसकी पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¨à¥‡ यह सोचकर कि वह उसकी माà¤à¤•à¥€ सौत बनने जा रही है, उसे छिपाकर अपने पास रख लिया, जिससे उसका सतीतà¥à¤µ अकà¥à¤·à¥à¤£à¥à¤£ बना रहा। मितà¥à¤°à¤µà¤¿à¤¨à¥à¤¦à¤¾ नामक यजà¥à¤žà¤•à¥‡ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¸à¥‡ उसका सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ à¤à¥€ बदल गया और वह अब अपने पतिके सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ अनà¥à¤•à¥‚ल बन गयी । तदननà¥à¤¤à¤° उसके गरà¥à¤ à¤à¤• महानॠतेजसà¥à¤µà¥€ पà¥à¤¤à¥à¤°à¤•à¤¾ जनà¥à¤® हà¥à¤†, जो औतà¥à¤¤à¤® नामसे विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ हà¥à¤† और जो तीसरे मनà¥à¤µà¤¨à¥à¤¤à¤°à¤®à¥‡à¤‚ मनà¥à¤•à¥‡ पदपर पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ित हà¥à¤†à¥¤ ये औतà¥à¤¤à¤® मनॠइतने पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¶à¤¾à¤²à¥€ हà¥à¤ कि मारà¥à¤•à¤£à¥à¤¡à¥‡à¤¯à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤£à¤®à¥‡à¤‚ इनके समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤°à¥à¤®à¥‡ लिखा है—जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ राजा उतà¥à¤¤à¤®à¤•à¥‡ उपाखà¥à¤¯à¤¾à¤¨ और औतà¥à¤¤à¤®à¤•à¥‡ जनà¥à¤®à¤•à¥€ कथा पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ सà¥à¤¨à¤¤à¤¾ है, उसका कà¤à¥€ किसीसे दà¥à¤µà¥‡à¤· नहीं होता। यही नहीं, इस चरितà¥à¤°à¤•à¥‹ सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ और पढ़नेवालेका कà¤à¥€ अपनी पतà¥à¤¨à¥€, पà¥à¤¤à¥à¤° अथवा बनà¥à¤§à¥à¤“ंसे वियोग नहीं होता ।