वृष लग्न में केतु द्वितीय स्थान में

वृष लग्न में केतु की स्थिति द्वितीय स्थान में

 

राहु और केतु दोनों छायाग्रह हैं, पापग्रह हैं, अंधेरे के प्रतीक हैं और सूर्य, चन्द्र के शत्रु हैं।

पर राहु राक्षस का सिर है, सर्प का मुख है, अतः ज्यादा डरावना व घातक है जबकि केतु राक्षस का धड़ है, सर्प की पूंछ अतः ज्यादा घातक नहीं है अपितु केतु के एक हाथ में ध्वजा है, जो कीर्ति का प्रतीक है। इस सूक्ष्म अन्तर को हमें समझना होगा तभी फलादेश में सूक्ष्मता आएगी। राहु जिस घर (भाव) में होता है। उसका नाश करता है जबकि केतु जिस घर  (भाव) में होगा उसके प्रति जातक की महत्त्वाकांक्षा (भूख) बढ़ा देता है।

वृष लग्न में केतु लग्नेश शुक्र का शत्रु है। यहां पर द्वितीय स्थान में केतु मिथुन राशि का होगा। मिथुन राशि में केतु नीच का ही कहलाएगा। धनभाव में केतु होने से जातक को धन प्राप्ति की महत्त्वाकांक्षा बहुत होगी। प्रायः रुपया आएगा व खर्च होता चला जाएगा। जातक अपनी आर्थिक स्थिति को सुस्थिर-दृढ़ करने के लिए प्रतिपल चेष्टावान रहेगा। धनेश बुध की स्थिति इस कुंडली वाले जातक की सही आर्थिक स्थिति को प्रकाशित करेगी। निशानी-छोटी आयु में कमाना सीखें।

दशा-केतु के दशा-अंतर्दशा धन प्राप्ति हेतु संघर्ष की द्योतक है। यदि कुंडली में कालसर्प योग बनता है। यह संघर्ष कष्टदायक होगा।

केतु का अन्य ग्रहों से संबंध

1. केतु सूर्य-धन व सुख के प्राप्ति में सामान्य बाधाएं, रुकावटें आएंगी।

2. केतु + चन्द्र- मित्रों पर रुपया खर्च होगा। कर्ज की स्थिति आती रहेगी।

3. केतु+मंगल- जातक खर्च अधिक करेगा। आर्थिक तंगी रहेगी।

4. केतु + बुध - जातक धनी होगा पर धन के घड़े में छोटा छेद है, उसकी सुरक्षा करनी होगी।

5. केतु + बृहस्पति-वाणी में स्खलन रहेगा। कमाई धीमी गति से होगी।

6. केतु-शुक्र-परिश्रम से धन मिलेगा पर बीमारी में खर्च होगा।

7. केतु-शनि-जातक धनी एवं सौभाग्यशाली होगा।


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