वृष लग्न में केतु की स्थिति पंचम स्थान में

वृष लग्न में केतु की स्थिति पंचम स्थान में

 

राहु और केतु दोनों छायाग्रह हैं, पापग्रह हैं, अंधेरे के प्रतीक हैं और सूर्य, चन्द्र के शत्रु हैं। राहु राक्षस का सिर है, सर्प का मुख है अतः ज्यादा डरावना व घातक है जबकि केतु राक्षस का धड़ है, सर्प की पूछ है, अतः ज्यादा घातक नहीं है। अपितु केतु के एक हाथ में ध्वजा है, जो कीर्ति का प्रतीक है। इस सूक्ष्म अन्तर को हमें समझना होगा तभी फलादेश में सूक्ष्मता आएगी।

 

राहु जिस घर (भाव) में होता है। उसका नाश करता है जबकि केतु जिस घर (भाव) में होगा उसके प्रति जातक की महत्त्वाकांक्षा (भूख बढ़ा देती है। à¤µà¥ƒà¤· लग्न में केतु लग्नेश शुक्र से शत्रु भाव रखता है। केतु यहां पंचम स्थान में कन्या राशि का होगा। कन्या केतु की मूल त्रिकोण राशि है। जहां केतु हर्षित रहेगा। जातक विद्या प्राप्ति हेतु सचेष्ट रहेगा। जातक सही अर्थों में ज्ञान का पिपास होगा।

 

निशानी- जातक प्रजावान होगा। अधिक सन्तति वाला होगा। जातक खुद अकेला भाई न होगा। मामा भी जातक के दो तीन होंगे। दशा-केतु की दशा शुभ फल देगी।

 

केतु का अन्य ग्रहों से संबंध

 

1. केतु सूर्य- जातक के एक पुत्र होगा एवं कन्या सन्तति भी होगी। सूर्य की उपासना जातक के लिए फलवती होगी।

2. केतु + चन्द्र- प्रथम कन्या होगी। कन्या उत्पत्ति के बाद जातक का भाग्योदय होगा।

3. केतु + मंगल- जातक को कन्या पुत्र दोनों की प्राप्ति होगी। गर्भपात भी होगा।

4. केतु + बुध जातक महाधनी होगा। कन्या सन्तति अधिक होगी, अथवा प्रथम कन्या होगी।

5. केतु + बृहस्पति- जातक व्यापार-व्यवसाय से प्रचुर धन कमाएगा।

6. केतु-शुक्र- जातक परिश्रमी होगा एवं अपने पुरुषार्थ से आगे बढ़ेगा।

7. केतु-शनि- जातक महाधनी व भाग्यशाली होगा परन्तु भाग्य बत्तीसवें वर्ष में चमकेगा।

 

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