मेष लग्न में केतु अष्टम स्थान में

मेष लग्न में केतु à¤…ष्टम स्थान में


मेष लग्न के अष्टम स्थान में केतु वृश्चिक राशि का होगा। वृश्चिक राशि जलसंज्ञक स्थिर स्वभाव की राशि है। जातक धनवान होगा पर जातक का भाई निःसन्तान होगा। जातक उस भाई को सन्तान का दान देगा। जातक की स्त्री सुन्दर सुशील एवं शुभविचारों वाली होगी। परन्तु 34 वर्ष बाद जातक दूसरा विवाह कर सकता है।


अनुभव-'भोज संहिता' के अनुसार अष्टमभावस्थ वृश्चिक का केतु व्यक्ति को लम्बी आयु की प्राप्ति हेतु लालायित रखेगा। जातक धन प्राप्ति हेतु भी जीवन पर्यन्त चेष्टा करता रहेगा।


निशानी-मौत के यम को पहले देख लेने वाला कुत्ता। जातक के गुप्तांग या गुदा पर शहद जैसे रंग का तिल या दाग होगा। दशा-केतु की दशा शुभफल देगी। केतु वृश्चिक राशि का होने से 'कुजवत्' फल देगा। अतः इस कुंडली में मंगल की स्थिति देखने बाद ही केतु की दशा के सही फल का निरूपण होगा।

केतु का अन्य ग्रहों से संबंध

1. केतु सूर्य केतु के साथ सूर्य 'विद्या में बाधा' एवं पुत्र संतान में बाधा उत्पन्न करेगा। 

2. केतु+चन्द्र-केतु के साथ चन्द्रमा माता के सुख में बाधक है। जातक के जीवन में शल्य चिकित्सा जरूर होगी।

3. केतु+मंगल-केतु के साथ मंगल स्वगृही होने से 'विपरीत राजयोग' बनेगा। जातक के पास उत्तम वाहन, उत्तम भवन होगा। जातक समाज का प्रभावशाली व्यक्ति होगा। 

4. केतु + बुध-केतु के साथ बुध 'विपरीत राजयोग' के कारण सभी प्रकार के भौतिक सुख देगा। परन्तु प्रतिष्ठा भंग होने का भय रहेगा। 

5. केतु + बृहस्पति-केतु के साथ बृहस्पति 'विपरीत राजयोग' के कारण जातक को भौतिक सुखों से परिपूर्ण करेगा।


6. केतु + शुक्र - केतु के साथ शुक्र विलम्ब विवाह योग बनाता है। जीवनसाथी को गुप्त रोग रहेगा।

7. केतु + शनि-केतु के साथ शनि 'व्यापार भंग योग' बनाता है। जातक को वैवाहिक सुख देरी से मिलेगा।

उपाय- 1. केतु कवच का नित्य पाठ करें। 2. कान छिदवा कर सोने का आभूषण पहनें।

3. काला कुत्ता पाले या उसकी सेवा करें।

4. दहेज में प्राप्त चारपाई पर शयन करने का नियम बन पावे तो केतु अनुकूल होगा।

5. दोरंगा कम्बल धर्मस्थान में भेंट करे तो शुभ रहेगा।

 

और जानने के लिए..........

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