मेष लग्न में केतु नवम स्थान में

मेष लग्न में केतु की स्थिति नवम स्थान में

मेष लग्न के नवम स्थान में केतु धनु राशि में होगा। धनु राशि अग्निसंज्ञक द्विस्वभाव राशि है जहां केतु स्वगृही कहलाएगा। ऐसा जातक पिता का आज्ञाकारी पुत्र साबित होगा। जन्मस्थान के दूरस्थ प्रदेशों के कमाएग उच्चाधिकारी होगा पर समाज का सेवक होगा।

जातक बहुत तरक्की करेगा। इन पर इष्टकृपा बृहस्पति की कृपा विशेष होगी। ऐसे जातक के के आशीर्वाद से निसंतान को भी सन्तति होगी। अनुभव-भोज सहिता के अनुसार धनु राशिगत नवम भाव में स्थित केतु वाला जातक जीवनपर्यन्त सही भाग्योदय हेतु लालायित रहेगा। जातक पराक्रम प्राप्ति हेतु चेष्टवान बना रहेगा।

निशान-बाप का हुक्म मानने वाला बेटा। ऐसे जातक की जंघा पर शहद जैसे रंग का तिल या दाग होता है।

दशा-केतु धनुराशि में होने से गुरुवत् फल देगा। अतः इस कुंडली में बृहस्पति की स्थिति का अध्ययन करने के बाद केतु की दशा की सही फलावट हो सकेगी। क्योंकि राहु और केतु का कोई स्वतंत्र अस्तित्त्व नहीं होता ये जिस राशि व ग्रह के साथ बैठे हैं 'तत्वत्' हो जाते हैं। वैसे केतु की दशा यहां शुभ फल देगी। जातक का भाग्योदय कराएगी।

केतु का अन्य ग्रहों से संबंध

1. केतु सूर्य केतु के साथ सूर्य जातक को महान पराक्रमी एवं आध्यात्मिक विद्या का जानकार बनाता है।

2. केतु + चन्द्र- केतु के साथ चन्द्रमा जातक को माता का सुख देगा परन्तु मामा से विचार नहीं मिलेंगे। 

3. केतु + मंगल - केतु के साथ मंगल जातक को पैतृक सम्पत्ति दिलाएगा पर थोड़ा विवाद होगा। 

4. केतु-बुध-केतु के साथ बुध जातक को प्रखर पराक्रमी बनाएगा। जातक बुद्धिशाली व चतुर दिमाग वाला होगा। 

5. केतु बृहस्पति केतु के साथ बृहस्पति जातक को राजा तुल्य वैभवशाली बनाएगा।

6. केतु-शुक्र-केतु के साथ शुक्र होने से जातक की किस्मत विवाह के बाद चमकेगी।

7. केतु-शनि केतु के साथ शनि जातक को व्यापार प्रिय बनाएगा। जातक प्रायः ठेकेदार होगा।

 

उपाय - 1. रंग-बिरंगे कपड़े न पहनें।
2. तिल, तैल, काले-नीले पुष्प, कस्तूरी व काले वस्त्रों का दान शनिवार के दिन करें।
3. केतु शान्ति का प्रयोग करें।

 

और जानने के लिए.......

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