मेष लग्न में केतु दशम स्थान में

मेष लग्न में केतु की स्थिति दशम स्थान में

 

मेष लग्न के दशम स्थान में केतु मकर राशि का होगा। मकर राशि पृथ्वी तत्त्व प्रधान एवं चरसंज्ञक है। ऐसा जातक नौकर-चाकर सेवकों से युक्त सुखी व्यक्ति होता है। जातक खेलों का शौकीन एवं दक्ष खिलाड़ी होगा। जातक के भाई-बन्धु इसकी दौलत को बरबाद करेंगे फिर भी जातक उनको माफ करता रहेगा। उनकी मदद करता रहेगा। जातक चाल-चलन का नेक एवं साफ दिल होगा।

अनुभव-'भोज संहिता' के अनुसार मकर राशिगत दशमस्थ केतु जातक को राज्य (सरकार) में पद प्राप्ति हेतु लालायित बनाए रखता है। अथवा सरकार से ठेका, वजीफा, सम्मान प्राप्ति हेतु जीवन भर प्रयत्नशील रहेगा। 

निशान - चुपचाप अपने रास्ते पर चलने वाला मौकाबाज। ऐसे जातक के घुटने पर शहद जैसे रंग का तिल या दाग होता है।

दशा- केतु की दशा शुभ रहेगी। केतु यहां शनि तुल्य फल देगा अतः शनि की स्थिति का अध्ययन करने के बाद ही केतु की दशा का सही फलादेश हो पाएगा।

केतु का अन्य ग्रहों से संबंध

1. केतु + सूर्य केतु के साथ सूर्य जातक को राजसुख देगा। उत्तम विद्या देगा।

2. केतु चन्द्र-केतु के साथ चन्द्रमा माता की सम्पत्ति दिलाएगा। वाहन का सुख दिलाएगा।

3. केतु + मंगल-केतु के साथ उच्च का मंगल 'रुचक योग' की सृष्टि करेगा।। जातक राजा तुल्य पराक्रमी व ऐश्वर्यशाली होगा। 

4. केतु + बुध-केतु के साथ बुध जातक को बुद्धिशाली एवं परिवार का शुभ चिन्तक बनाएगा। 

5. केतु+बृहस्पति-केतु के साथ बृहस्पति का होगा ऐसा जातक आध्यात्मिक राह का पथिक एवं धर्मध्वज होगा।

6. केतु + शुक्र-केतु के साथ शुक्र जातक को उत्तम वाहन सुख देगा। नौकरी विवाह के बाद लगेगी।

7. केतु-शनि-केतु के साथ शनि 'शश योग' बनाएगा। ऐसा जातक माता के समान पराक्रमी, ऐश्वर्यशाली एवं प्रतिष्ठित होगा। 

उपाय- 1. चितकबरे कुत्ते को सात दिन तक दूध-रोटी खिलावें ।

2. चितकबरी गाय को चारा खिलावें। इससे अचानक आई विपत्ति दूर होगी।

3. राजयोग की प्राप्ति अभीष्ट हो तो शनिवार के दिन अभिमंत्रित जल से औषध स्नान करें।


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