मेष लग्न में केतु एकादश स्थान में

मेष लग्न में केतु की स्थिति एकादश स्थान में

 

मेष लग्न के एकादश स्थान में केतु कुम्भ राशि का होगा। कुम्भ राशि वायु तत्त्व प्रधान एवं स्थिर स्वभाव की राशि है। जातक राजदरबार में इज्जत-सम्मान पाने वाला, आने वाले समय को ध्यान में रखकर प्लानिंग के साथ काम करने वाला, धनवान, अच्छी किस्मत वाला, लम्बी यात्रा से लाभ पाने वाला होता है। प्रथम सन्तति प्रायः विलम्ब से होती है। 

अनुभव - 'भोज संहिता' के अनुसार कुम्भ राशिगत एकादशस्थ केतु जातक को सदैव लाभ प्राप्ति हेतु लालायित रखेगा।

निशान-गीदड़ स्वभाव कुत्ता । जातक के पिंडलियों, टांगों पर शहद जैसे रंग का तिल या दाग होगा।

दशा-केतु की दशा शुभ फल देगी। केतु शनि की मूलत्रिकोण कुम्भ राशि में है। अतः कुंडली में शनि की शुभ-अशुभ स्थिति का अध्ययन करने के बाद केतु की दशा पर सही फलादेश हो सकेगा।

केतु का अन्य ग्रहों से संबंध

1. केतु सूर्य-केतु के साथ सूर्य जातक को उच्च शैक्षणिक उपाधि दिलाएगा।

2. केतु + चन्द्र-केतु के साथ चन्द्रमा माता की सम्पत्ति देगा। प्रखर कल्पनाशक्ति देगा। 

3. केतु + मंगल-केतु के साथ मंगल को पुरुषार्थ का लाभ देगा।

4. केतु+बुध-केतु के साथ बुध जातक को प्रखर बुद्धिशाली बनाएगा। 

5. केतु+बृहस्पति - केतु के साथ बृहस्पति जातक को सौभाग्यशाली बनाएगा।

6. केतु + शुक्र-केतु के साथ शुक्र जातक को उत्तम विद्या, सम्मान एवं स्त्री सुख देगा।

7. केतु + शनि-केतु के साथ शनि जातक को उद्योगपति बनाएगा। जातक को व्यापार प्रिय होगा।

उपाय- 
1. घर में छिपकली न घूमने दें।

2. लकड़ी से बनी चारपाई या पलंग दान करें।

3. अश्वगंधा की जड़ को अभिमंत्रित कर लॉकेट में धारण करें। 

4. मृत संतान यदि पैदा होती हो तो सफेद मूली स्त्री के सिरहाने रखकर, शनिवार के सवेरे धर्म स्थान में दान देने से नर संतान खुशहाल रहेगी।


और जानने के लिए.......

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