वृष लग्न में केतु दशम स्थान में

वृष लग्न में केतु की स्थिति दशम स्थान में

 

राहु और केतु दोनों छायाग्रह हैं, पापग्रह है, अंधेरे के प्रतीक हैं और सूर्य, चन्द्र के शत्रु हैं। राहु राक्षस का सिर है, सर्प का मुख है, अतः ज्यादा डरावना व घातक है। जबकि केतु राक्षस का धड़ है, सर्प की पूंछ अतः ज्यादा घातक नहीं है अपितु केतु à¤•à¥‡ एक हाथ में ध्वजा है, जो कीर्ति का प्रतीक है।

इस सूक्ष्म अन्तर को हमें समझना होगा तभी फलादेश में सूक्ष्मता आएगी राहु जिस घर (भाव)  à¤®à¥‡à¤‚ होता है। उसका नाश करता है जबकि केतु जिस घर (भाव) में होगा उसके प्रति जातक की महत्त्वाकांक्षा (भूख बढ़ा देता है।

 

वृष लग्न में केतु लग्नेश शुक्र से शत्रु भाव रखता है। केतु यहां दशम स्थान में कुम्भ राशि का होगा। कुम्भ राशि केतु की मित्र राशि है। ऐसा जातक सरकारी नौकरी, राजकीय कार्य, ठेकेदारी बगैरह में रुचि रखेगा। समाज में जाति में, राज्य सरकार में मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति हेतु लालायित रहेगा।

 

निशानी- जातक चुपचाप अपने रास्ते पर चलने वाला, चाल-चलन का नेक होगा।

 

दशा-केतु की दशा-अंतर्दशा में जातक का व्यापार-व्यवसाय बढ़ेगा।

 

केतु का अन्य ग्रहों से संबंध

 

1. केतु सूर्य- जातक सभी प्रकार से सुखी एवं साधन सम्पन्न व्यक्ति होगा।

2. केतु-चन्द्र- जातक के कुटुम्बी (रिश्तेदार) प्रभावशाली होंगे।

3. केतु मंगल जातक का ससुराल प्रभावशाली एवं पराक्रमी होगा।

4. केतु-बुध- जातक की सन्तति प्रभावशाली एवं पराक्रमी होगी।

5. केतु · बृहस्पति- जातक व्यापार-व्यवसाय में उन्नति करेगा।

6. केतु-शुक्र- जातक कुटुम्ब परिवार को तारने वाला एवं सामर्थ्यवान व्यक्ति होगा।

7. केतु-शनि जातक इन्द्र तुल्य पराक्रमी, वैभवशाली एवं शक्ति सम्पन्न व्यक्ति होगा। जातक उद्योगपति होगा।.

 

नक्षत्रों के चरण फल समझने के लिए क्लिक करे.........

Share Us On -

Scroll to Top