मीन लग्न में शुक्र 12 हाउस में

शुक्र की स्थिति द्वादश स्थान में मीनलग्न


मीनलग्न में शुक्र पराक्रमेश एवं अष्टमेश है। अष्टमेश होने से यह अशुभफल ही देगा शुक्र लग्नेश बृहस्पति से शत्रु भाव भी रखता है। शुक्र यहां द्वादश स्थान में कुंभ (मित्र) राशि का होगा। अष्टमेश का द्वादश में जाने से सरल नामक 'विपरीतराज योग' बनेगा। तृतीयेश का बारहवें जाने से पराक्रमभंग योग भी बनेगा। यह शुक्र धन-यश, पद-प्रतिष्ठा का लाभ देगा। भौतिक सुख-संपत्ति बनी रहेगी। जातक का वैवाहिक जीवन सुखी, स्त्री संतान सुख श्रेष्ठ रहेगा। जातक विलासी जीवन जीएगा। जातक ज्यादातर सरकारी या पराये पैसे पर मौज करेगा।
दृष्टि-द्वादश भावगत शुक्र की दृष्टि छठे स्थान (सिंह राशि) पर होगी। जातक के गुप्त शत्रु होंगे। गुप्त रोग की भी संभावना बनी रहेगी। 
निशानी- जातक का पैसा दुस्कार्य, व्यसन, जुआं, मौज-शौक में खर्च होगा। जातक पर कर्जा होगा। पर जातक उसकी चिंता नहीं करेगा। 
दशा- शुक्र की दशा-अंतर्दशा शुभ फल देगी।

शुक्र का अन्य ग्रहों से संबंध 

1  à¤¶à¥à¤•à¥à¤°-सूर्य के साथ सूर्य हर्षनामक 'विपरीत राज योग' बनाता है। जातक धनवान एवं अभिमानी होगा पर नेत्रपीड़ा रहेगी। 
2. शुक्र+चंद्र-शुक्र के साथ चंद्रमा 'संतानहीन योग' बनाता है। जातक को गृहस्थ सुख में न्यूनता महसूस होती रहेगी। 
3. शुक्र+मंगल - शुक्र के साथ मंगल 'धनहीन योग' एवं 'भाग्यहीन योग' बनाता है। जातक के दो पत्नियां होगी।
4.  à¤¶à¥à¤•à¥à¤° + बुध-शुक्र के साथ बुध 'सुखहीन योग' एवं 'विलम्बविवाह योग' बनाता है। जातक को भौतिक सुखों में न्यूनता का आभास होता रहेगा। 
5. शुक्र + बृहस्पति - शुक्र के साथ बृहस्पति होने से जातक को परिश्रम का फल नहीं मिलेगा। 'लग्नभंगयोग' एवं 'राजभंग योग' के कारण समाज में उचित सम्मान नहीं मिलेगा।
6. शुक्र + शनि-शुक्र के साथ शनि 'लाभभंग योग' एवं विमल नामक 'विपरीतराज योग' बनाता है। जातक धनी-मानी एवं अभिमानी होगा।
7. शुक्र + राहु-शुक्र के साथ राहु वैवाहिक सुख में बाधक है। 
8. शुक्र +केतु - शुक्र के साथ केतु व्यर्थ के खर्च एवं गुप्त रोगों की संभावना बनाएगा।

उपाय - 
1. मंदिर में गाय के घी का दिया जलावें। 
2. पत्नी के हाथों शुक्र संबंधी वस्तु का दान करावें ।
3. यदि जातक की पत्नी शुक्रवार के दिन नीले रंग का पुष्प जंगल की जमीन में गाड़े तो भाग्य पलटेगें।
4. चांदी की गाय बछड़े वाली बनाकर ब्राह्मण को दान 
5. शुक्रवार को व्रत कथा आरती करें।
6. 'शुक्र कवच' का नित्य पाठ करें।
7. शुक्र शांति का प्रयोग करें। 
8. शुक्र की वस्तुओं चावल-शक्कर का दान करें।
9. शुक्रवार के दिन 'अग्निकोण' की ओर सामान करें। 
10. जीवन साथी बीमार हो तो उसके वजन के बराबर लाल ज्वार
धर्म स्थान में भेंट करें। 
11. काली गाय की सेवा करें।

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