वृष लगà¥à¤¨ में केतॠकी सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ षषà¥à¤ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में राहॠऔर केतॠदोनों छायागà¥à¤°à¤¹ हैं, पापगà¥à¤°à¤¹ हैं, अंधेरे के पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• हैं और सूरà¥à¤¯, चनà¥à¤¦à¥à¤° के शतà¥à¤°à¥ है। राहॠराकà¥à¤·à¤¸ का सिर है, सरà¥à¤ª का मà¥à¤– है, अतः जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ डरावना व घातक है। जबकि केतॠराकà¥à¤·à¤¸ का धड़ है, सरà¥à¤ª की पूंछ अतः जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ घातक नहीं है अपितॠकेतॠके à¤à¤• हाथ में धà¥à¤µà¤œà¤¾ है, जो कीरà¥à¤¤à¤¿ का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• है। इस सूकà¥à¤·à¥à¤® अनà¥à¤¤à¤° को हमें समà¤à¤¨à¤¾ होगा तà¤à¥€ फलादेश में सूकà¥à¤·à¥à¤®à¤¤à¤¾ आà¤à¤—ी। राहॠजिस घर (à¤à¤¾à¤µ) में होता है। उसका नाश करता है जबकि केतॠजिस घर (à¤à¤¾à¤µ) में होगा उसके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ जातक की महतà¥à¤¤à¥à¤µà¤¾à¤•à¤¾à¤‚कà¥à¤·à¤¾ (à¤à¥‚ख) बढ़ा देती है। वृष लगà¥à¤¨ में केतॠलगà¥à¤¨à¥‡à¤¶ शà¥à¤•à¥à¤° से शतà¥à¤°à¥ à¤à¤¾à¤µ रखता है। केतॠयहां छठे सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में तà¥à¤²à¤¾ राशि का होगा। तà¥à¤²à¤¾ राशि केतॠकी मितà¥à¤° राशि है। à¤à¤¸à¤¾ जातक शतà¥à¤°à¥ व रोग से à¤à¤¯à¤—à¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ रहेगा। सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ शरीर की कामना, निरोग रहने की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾, दीरà¥à¤˜à¤¾à¤¯à¥ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ की इचà¥à¤›à¤¾ पà¥à¤°à¤¬à¤² रहेगी। छठे à¤à¤¾à¤µ में पाप गà¥à¤°à¤¹ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ अशà¥à¤ फल नहीं देते। निशानी- जातक परदेश में रहने वाला होगा। उसे कà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‡ के या किसी अनà¥à¤¯ जानवर के काटने का à¤à¤¯ रहेगा। दशा-केतॠकी दशा मधà¥à¤¯à¤® (मिशà¥à¤°à¤¿à¤¤) फलकारी होगी। केतॠका अनà¥à¤¯ गà¥à¤°à¤¹à¥‹à¤‚ से संबंध 1. केतॠ+ सूरà¥à¤¯- जातक के माता-पिता बीमार रहेंगे। 2. केतà¥+चनà¥à¤¦à¥à¤° - जातक के à¤à¤¾à¤ˆ जातक के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ उदासीन रहेंगे। 3. केतà¥+मंगल - जातक का गृहसà¥à¤¥ जीवन सà¥à¤–मय नहीं होगा। 4. केतॠ+ बà¥à¤§ - जातक को पà¥à¤°à¤¥à¤® सनà¥à¤¤à¤¤à¤¿ हाथ नहीं लगेगी। 5. केतà¥+बृहसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ - जातक का पà¥à¤°à¤¥à¤® सनà¥à¤¤à¤¤à¤¿ का गरà¥à¤ सà¥à¤°à¤¾à¤µ हो जाà¤à¤—ा। बृहसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ कृपा से, पूजा-पाठसे पà¥à¤¤à¥à¤° होगा। 6. केतॠ+ शà¥à¤•à¥à¤° - परिशà¥à¤°à¤® का वांछित लाठनहीं मिलेगा। परिशà¥à¤°à¤® विशेष करना पड़ेगा। 7. केतà¥+शनि- à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¥‹à¤¦à¤¯ हेतà¥, आगे बढ़ने के लिठनिरनà¥à¤¤à¤° रà¥à¤•à¤¾à¤µà¤Ÿà¥‹à¤‚ का सामना करना पड़ेगा। नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के चरण फल समà¤à¤¨à¥‡ के लिठकà¥à¤²à¤¿à¤• करे.........
वृष लगà¥à¤¨ में केतॠकी सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ षषà¥à¤ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में
राहॠऔर केतॠदोनों छायागà¥à¤°à¤¹ हैं, पापगà¥à¤°à¤¹ हैं, अंधेरे के पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• हैं और सूरà¥à¤¯, चनà¥à¤¦à¥à¤° के शतà¥à¤°à¥ है। राहॠराकà¥à¤·à¤¸ का सिर है, सरà¥à¤ª का मà¥à¤– है, अतः जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ डरावना व घातक है। जबकि केतॠराकà¥à¤·à¤¸ का धड़ है, सरà¥à¤ª की पूंछ अतः जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ घातक नहीं है अपितॠकेतॠके à¤à¤• हाथ में धà¥à¤µà¤œà¤¾ है, जो कीरà¥à¤¤à¤¿ का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• है। इस सूकà¥à¤·à¥à¤® अनà¥à¤¤à¤° को हमें समà¤à¤¨à¤¾ होगा तà¤à¥€ फलादेश में सूकà¥à¤·à¥à¤®à¤¤à¤¾ आà¤à¤—ी। राहॠजिस घर (à¤à¤¾à¤µ) में होता है। उसका नाश करता है
जबकि केतॠजिस घर (à¤à¤¾à¤µ) में होगा उसके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ जातक की महतà¥à¤¤à¥à¤µà¤¾à¤•à¤¾à¤‚कà¥à¤·à¤¾ (à¤à¥‚ख) बढ़ा देती है। वृष लगà¥à¤¨ में केतॠलगà¥à¤¨à¥‡à¤¶ शà¥à¤•à¥à¤° से शतà¥à¤°à¥ à¤à¤¾à¤µ रखता है। केतॠयहां छठे सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में तà¥à¤²à¤¾ राशि का होगा। तà¥à¤²à¤¾ राशि केतॠकी मितà¥à¤° राशि है। à¤à¤¸à¤¾ जातक शतà¥à¤°à¥ व रोग से à¤à¤¯à¤—à¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ रहेगा। सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ शरीर की कामना, निरोग रहने की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾, दीरà¥à¤˜à¤¾à¤¯à¥ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ की इचà¥à¤›à¤¾ पà¥à¤°à¤¬à¤² रहेगी। छठे à¤à¤¾à¤µ में पाप गà¥à¤°à¤¹ जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ अशà¥à¤ फल नहीं देते।
निशानी- जातक परदेश में रहने वाला होगा। उसे कà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‡ के या किसी अनà¥à¤¯ जानवर के काटने का à¤à¤¯ रहेगा।
दशा-केतॠकी दशा मधà¥à¤¯à¤® (मिशà¥à¤°à¤¿à¤¤) फलकारी होगी।
केतॠका अनà¥à¤¯ गà¥à¤°à¤¹à¥‹à¤‚ से संबंध
1. केतॠ+ सूरà¥à¤¯- जातक के माता-पिता बीमार रहेंगे।
2. केतà¥+चनà¥à¤¦à¥à¤° - जातक के à¤à¤¾à¤ˆ जातक के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ उदासीन रहेंगे।
3. केतà¥+मंगल - जातक का गृहसà¥à¤¥ जीवन सà¥à¤–मय नहीं होगा।
4. केतॠ+ बà¥à¤§ - जातक को पà¥à¤°à¤¥à¤® सनà¥à¤¤à¤¤à¤¿ हाथ नहीं लगेगी।
5. केतà¥+बृहसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ - जातक का पà¥à¤°à¤¥à¤® सनà¥à¤¤à¤¤à¤¿ का गरà¥à¤ सà¥à¤°à¤¾à¤µ हो जाà¤à¤—ा। बृहसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ कृपा से, पूजा-पाठसे पà¥à¤¤à¥à¤° होगा।
6. केतॠ+ शà¥à¤•à¥à¤° - परिशà¥à¤°à¤® का वांछित लाठनहीं मिलेगा। परिशà¥à¤°à¤® विशेष करना पड़ेगा।
7. केतà¥+शनि- à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¥‹à¤¦à¤¯ हेतà¥, आगे बढ़ने के लिठनिरनà¥à¤¤à¤° रà¥à¤•à¤¾à¤µà¤Ÿà¥‹à¤‚ का सामना करना पड़ेगा।
नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के चरण फल समà¤à¤¨à¥‡ के लिठकà¥à¤²à¤¿à¤• करे.........