à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· के पà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¤• महरà¥à¤·à¤¿ पराशर के पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ गà¥à¤°à¤‚थ ‘बृहत पराशर होरा शासà¥à¤¤à¥à¤°’ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤°- ‘जनà¥à¤®à¤•à¤¾à¤²à¤¿à¤• गà¥à¤°à¤¹ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में सूरà¥à¤¯ और चनà¥à¤¦à¥à¤° में से जो बली हो, वह यदि गà¥à¤°à¥ के तà¥à¤°à¤¯à¤‚श (दà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤•à¤¾à¤£) में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हो तो जातक देवलोक (सà¥à¤µà¤°à¥à¤—) से आया है à¤à¤¸à¤¾ समà¤à¤¨à¤¾ चाहिà¤à¥¤ यदि वह शà¥à¤•à¥à¤° या चंदà¥à¤° के दà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤•à¤¾à¤£ में हो तो पितृलोक से सूरà¥à¤¯ या मंगल के दà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤•à¤¾à¤£ में हो तो मृतà¥à¤¯à¥à¤²à¥‹à¤• से और यदि वह बà¥à¤§ या शनि के दà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤•à¤¾à¤£ में हो तो नरक लोक से आया है à¤à¤¸à¤¾ समà¤à¤¨à¤¾ चाहिà¤à¥¤’ मृतà¥à¤¯à¥‹à¤ªà¤°à¤¾à¤‚त गनà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के बारे में महरà¥à¤·à¤¿ पराशर कहते हैं। लगà¥à¤¨ से षषà¥à¤ सपà¥à¤¤à¤®à¥ या अषà¥à¤Ÿà¤®à¥ à¤à¤¾à¤µ में गà¥à¤°à¥ हो तो देवलोक शà¥à¤•à¥à¤° या चनà¥à¤¦à¥à¤° हो तो पितृलोक रवि या मंगल हो तो à¤à¥‚लोक और बà¥à¤§ या शनि हो तो अधोलोक को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करता है। यदि उकà¥à¤¤ à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ में à¤à¤• से अधिक गà¥à¤°à¤¹ हो तो उनमें से जो बली हो उसके लोक को जाता है à¤à¤¸à¤¾ समà¤à¤¨à¤¾ चाहिà¤à¥¤ यदि à¤à¤¾à¤µ 6,7,8 में कोई गà¥à¤°à¤¹ नहीं हो तो षषà¥à¤ और अषà¥à¤Ÿà¤®à¥ à¤à¤¾à¤µ के दà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤•à¤¾à¤£à¤ªà¤¤à¤¿ में जो बलवान हो पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ मरण के बाद उस गà¥à¤°à¤¹ के लोक में जाता है à¤à¤¸à¤¾ समà¤à¤¨à¤¾ चाहिà¤à¥¤ उस गà¥à¤°à¤¹ की उचà¥à¤šà¤¾à¤¦à¤¿ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ से मरणोपरांत लोक में जातक को उतà¥à¤¤à¤® मधà¥à¤¯à¤® या अधम सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। जैसे यदि वह दà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤•à¤¾à¤£à¤ªà¤¤à¤¿ उचà¥à¤š का हो तो उस गà¥à¤°à¤¹ के लोक में पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ को शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ नीच का हो तो निमà¥à¤¨ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ और उचà¥à¤š नीच के मधà¥à¤¯ में हो तो मधà¥à¤¯ सà¥à¤¤à¤° का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। यदि मरण काल में लगà¥à¤¨ में गà¥à¤°à¥ हो तो जातक देवलोक, सूरà¥à¤¯ या मंगल हो तो मृतà¥à¤¯à¥à¤²à¥‹à¤• चंदà¥à¤° या शà¥à¤•à¥à¤° हो तो पितृलोक और बà¥à¤§ या शनि हो तो नरक लोक हो जाता है। जब जनà¥à¤®à¤•à¥à¤‚डली में शà¥à¤à¤—तिपà¥à¤°à¤¦ गà¥à¤°à¤¹ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ हो और मरण काल में कà¥à¤‚डली में अशà¥à¤ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में हो तो जातक मधà¥à¤¯à¤²à¥‹à¤• को जाता है। जनà¥à¤® और मरण काल कà¥à¤‚डली दोनों में गà¥à¤°à¤¹ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ अशà¥à¤ हो तो जातक अधोगति पाता है। आचारà¥à¤¯ मंतà¥à¤°à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° ने अपने गà¥à¤°à¤‚थ फलदीपिका में दà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¶ à¤à¤¾à¤µ और दà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¶à¥‡à¤¶ को पà¥à¤°à¤¾à¤¥à¤®à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ देते हà¥à¤ बताया है कि यदि दà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¶à¥‡à¤¶ उचà¥à¤š का हो, अपने मितà¥à¤° के घर में हो, शà¥à¤ गà¥à¤°à¤¹ के वरà¥à¤— में हो, या शà¥à¤ गà¥à¤°à¤¹ के साथ हो तो मनà¥à¤·à¥à¤¯ मृतà¥à¤¯à¥‹à¤ªà¤°à¤¾à¤‚त सà¥à¤µà¤°à¥à¤— को जाता है। विपरीत सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में नरक पाता है। यदि दà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¶ à¤à¤¾à¤µ में शीरà¥à¤·à¥‹à¤¦à¤¯ राशि (सिंह, कनà¥à¤¯à¤¾, तà¥à¤²à¤¾, वृशà¥à¤šà¤¿à¤• या कà¥à¤‚à¤) हो तो जातक सà¥à¤µà¤°à¥à¤— जाता है, और यदि पृषà¥à¤ ोदय राशि (मेष, वृष, करà¥à¤•, धनॠया मकर) हो तो नरक को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। जो गà¥à¤°à¤¹ दà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¶à¥‡à¤¶ के साथ हो तो या दà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¶ à¤à¤¾à¤µ में हो, या दà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¶ à¤à¤¾à¤µ के नवमांश में हो, इससे à¤à¥€ मृतà¥à¤¯à¥‹à¤ªà¤°à¤¾à¤‚त गति का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होता है। यदि यह गà¥à¤°à¤¹ सूरà¥à¤¯ या चनà¥à¤¦à¥à¤° हो तो कैलाश शà¥à¤•à¥à¤° हो तो सà¥à¤µà¤°à¥à¤—, मंगल हो तो पृथà¥à¤µà¥€ लोक, बà¥à¤§ हो तो वैकà¥à¤‚ठ, शनि हो तो यम लोक और बृहसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ हो तो बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® लोक को जाता है। यदि राहॠहो तो किसी दूसरे देश और यदि केतॠहो तो नरक को जाता है। यहां धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ देने की बात है कि आचारà¥à¤¯ मंतà¥à¤°à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° ने बà¥à¤§ को वैकà¥à¤‚ठका कारक बताया है तथा राहॠऔर केतॠको à¤à¥€ गणना में लिया है। साथ ही उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने नवमेश और पंचमेश से à¤à¥€ पिछले और अगले जनà¥à¤® के देश दिशा जाति इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ पर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ डाला है।
à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· के पà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¤• महरà¥à¤·à¤¿ पराशर के पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ गà¥à¤°à¤‚थ ‘बृहत पराशर होरा शासà¥à¤¤à¥à¤°’ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤°-
‘जनà¥à¤®à¤•à¤¾à¤²à¤¿à¤• गà¥à¤°à¤¹ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में सूरà¥à¤¯ और चनà¥à¤¦à¥à¤° में से जो बली हो, वह यदि गà¥à¤°à¥ के तà¥à¤°à¤¯à¤‚श (दà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤•à¤¾à¤£) में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हो तो जातक देवलोक (सà¥à¤µà¤°à¥à¤—) से आया है à¤à¤¸à¤¾ समà¤à¤¨à¤¾ चाहिà¤à¥¤ यदि वह शà¥à¤•à¥à¤° या चंदà¥à¤° के दà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤•à¤¾à¤£ में हो तो पितृलोक से सूरà¥à¤¯ या मंगल के दà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤•à¤¾à¤£ में हो तो मृतà¥à¤¯à¥à¤²à¥‹à¤• से और यदि वह बà¥à¤§ या शनि के दà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤•à¤¾à¤£ में हो तो नरक लोक से आया है à¤à¤¸à¤¾ समà¤à¤¨à¤¾ चाहिà¤à¥¤’
मृतà¥à¤¯à¥‹à¤ªà¤°à¤¾à¤‚त गनà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के बारे में महरà¥à¤·à¤¿ पराशर कहते हैं।
लगà¥à¤¨ से षषà¥à¤ सपà¥à¤¤à¤®à¥ या अषà¥à¤Ÿà¤®à¥ à¤à¤¾à¤µ में गà¥à¤°à¥ हो तो देवलोक शà¥à¤•à¥à¤° या चनà¥à¤¦à¥à¤° हो तो पितृलोक रवि या मंगल हो तो à¤à¥‚लोक और बà¥à¤§ या शनि हो तो अधोलोक को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करता है। यदि उकà¥à¤¤ à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ में à¤à¤• से अधिक गà¥à¤°à¤¹ हो तो उनमें से जो बली हो उसके लोक को जाता है à¤à¤¸à¤¾ समà¤à¤¨à¤¾ चाहिà¤à¥¤
यदि à¤à¤¾à¤µ 6,7,8 में कोई गà¥à¤°à¤¹ नहीं हो तो षषà¥à¤ और अषà¥à¤Ÿà¤®à¥ à¤à¤¾à¤µ के दà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤•à¤¾à¤£à¤ªà¤¤à¤¿ में जो बलवान हो पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ मरण के बाद उस गà¥à¤°à¤¹ के लोक में जाता है à¤à¤¸à¤¾ समà¤à¤¨à¤¾ चाहिà¤à¥¤
उस गà¥à¤°à¤¹ की उचà¥à¤šà¤¾à¤¦à¤¿ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ से मरणोपरांत लोक में जातक को उतà¥à¤¤à¤® मधà¥à¤¯à¤® या अधम सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। जैसे यदि वह दà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤•à¤¾à¤£à¤ªà¤¤à¤¿ उचà¥à¤š का हो तो उस गà¥à¤°à¤¹ के लोक में पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ को शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ नीच का हो तो निमà¥à¤¨ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ और उचà¥à¤š नीच के मधà¥à¤¯ में हो तो मधà¥à¤¯ सà¥à¤¤à¤° का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है।
यदि मरण काल में लगà¥à¤¨ में गà¥à¤°à¥ हो तो जातक देवलोक, सूरà¥à¤¯ या मंगल हो तो मृतà¥à¤¯à¥à¤²à¥‹à¤• चंदà¥à¤° या शà¥à¤•à¥à¤° हो तो पितृलोक और बà¥à¤§ या शनि हो तो नरक लोक हो जाता है।
जब जनà¥à¤®à¤•à¥à¤‚डली में शà¥à¤à¤—तिपà¥à¤°à¤¦ गà¥à¤°à¤¹ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ हो और मरण काल में कà¥à¤‚डली में अशà¥à¤ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में हो तो जातक मधà¥à¤¯à¤²à¥‹à¤• को जाता है। जनà¥à¤® और मरण काल कà¥à¤‚डली दोनों में गà¥à¤°à¤¹ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ अशà¥à¤ हो तो जातक अधोगति पाता है।
आचारà¥à¤¯ मंतà¥à¤°à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° ने अपने गà¥à¤°à¤‚थ फलदीपिका में दà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¶ à¤à¤¾à¤µ और दà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¶à¥‡à¤¶ को पà¥à¤°à¤¾à¤¥à¤®à¤¿à¤•à¤¤à¤¾ देते हà¥à¤ बताया है कि यदि दà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¶à¥‡à¤¶ उचà¥à¤š का हो, अपने मितà¥à¤° के घर में हो, शà¥à¤ गà¥à¤°à¤¹ के वरà¥à¤— में हो, या शà¥à¤ गà¥à¤°à¤¹ के साथ हो तो मनà¥à¤·à¥à¤¯ मृतà¥à¤¯à¥‹à¤ªà¤°à¤¾à¤‚त सà¥à¤µà¤°à¥à¤— को जाता है।
विपरीत सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में नरक पाता है। यदि दà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¶ à¤à¤¾à¤µ में शीरà¥à¤·à¥‹à¤¦à¤¯ राशि (सिंह, कनà¥à¤¯à¤¾, तà¥à¤²à¤¾, वृशà¥à¤šà¤¿à¤• या कà¥à¤‚à¤) हो तो जातक सà¥à¤µà¤°à¥à¤— जाता है, और यदि पृषà¥à¤ ोदय राशि (मेष, वृष, करà¥à¤•, धनॠया मकर) हो तो नरक को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है।
जो गà¥à¤°à¤¹ दà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¶à¥‡à¤¶ के साथ हो तो या दà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¶ à¤à¤¾à¤µ में हो, या दà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¶ à¤à¤¾à¤µ के नवमांश में हो, इससे à¤à¥€ मृतà¥à¤¯à¥‹à¤ªà¤°à¤¾à¤‚त गति का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होता है।
यदि यह गà¥à¤°à¤¹ सूरà¥à¤¯ या चनà¥à¤¦à¥à¤° हो तो कैलाश शà¥à¤•à¥à¤° हो तो सà¥à¤µà¤°à¥à¤—, मंगल हो तो पृथà¥à¤µà¥€ लोक, बà¥à¤§ हो तो वैकà¥à¤‚ठ, शनि हो तो यम लोक और बृहसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ हो तो बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® लोक को जाता है। यदि राहॠहो तो किसी दूसरे देश और यदि केतॠहो तो नरक को जाता है।
यहां धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ देने की बात है कि आचारà¥à¤¯ मंतà¥à¤°à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° ने बà¥à¤§ को वैकà¥à¤‚ठका कारक बताया है तथा राहॠऔर केतॠको à¤à¥€ गणना में लिया है। साथ ही उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने नवमेश और पंचमेश से à¤à¥€ पिछले और अगले जनà¥à¤® के देश दिशा जाति इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ पर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ डाला है।