विवाह योग अथवा प्रेम योग

विवाह योग अथवा प्रेम योग

 

किशोरावस्था की समाप्ति तथा युवा अवस्था हो जाने पर तथा वृद्धावस्था की परिपक्वता प्राप्त नहीं होने तक की आयु के बीच इन योगों को जन्म कुण्डली की कसौटी पर कसने से काफी संतोषजनक फल प्राप्त होगा।

 

(१) गोचर में अथवा वर्ष कुण्डली में मंगल और शुक्र का परस्पर युति योग अथवा दृष्टि योग लग्न से पहले, दूसरे, छठे, सातवें, आठवें, दसवें या बारहवें घर में बनता हो तो प्रेम संबंध स्थापित होने, कामवासना की पूर्ति होने अथवा सगाई (वाग्दान), विवाह आदि होने की संभावना होती है। यदि मंगल - शुक्र के बीच युति योग या दृष्टि योग को गुरु का सहयोग लग्न से, केन्द्र अथवा त्रिकोण स्थान से मिल रहा हो तो इस योग की सफलता अधिक निश्चित हो जाती है।

Share Us On -

Scroll to Top