रेवती नक्षत्र में उत्पन्न जातक

रेवती नक्षत्र में उत्पन्न जातकों के सामान्य परिणाम

(क) पुरुष जातक

1. शारीरिक गठन-रेवती नक्षत्र में उत्पन्न जातक अच्छे डील-डौल के यथेष्ट रूप से लम्बे तथा संतुलित तथा संतुलित शरीर और साफ रंग के होते है।

2. स्वभाव तथा सामान्य घटना- वह दिल का साफ, व्यवहार में ईमानदार तथा मृदुभाषी होता है। परिस्थिती अनुसार उसमें दूसरों से व्यवहार करने का कौशल है। वह दूसरों पर अनावश्यक रूप से अधिक ध्यान नही देता । उसका जीवन पूर्णता स्वतन्त्र होने के कारण उसके मार्ग में बाधाएं उत्पन्न होने पर उसे ठेस लगती है। वह लम्बे समय तक किसी बात को गुप्त नहीं रख सकता। वह अपने प्रिय व्यक्ति पर भी आंख मूंद कर विश्वास नहीं करता। लेकिन जब वह किसी पर विश्वास कर लेता है तो फिर उसे उस व्यक्ति से दूर करना आसान नहीं होता ।

वह अति क्रोधी स्वभाव का होता है। कुछ भी हो जाये, अपनी अन्तत्मा के अनुसार आचरण करना उसका सिद्धान्त है। वह किसी भी सिद्धान्त को पहले परखता है और उसके ठीक जंचने पर ही दृढ़ता पूर्वक उस पर अमल करता है। किसी भी मामले का पूर्व निष्कर्ष निकल लेता है। वह धार्मिक, अन्धविश्वासी, धर्मान्ध तथा रूढ़ीवादी संस्कृति और सिद्धान्तों को दृढ़तापूर्वक पालता है।

वह हठीला तथा महत्वाकांक्षी होता है। उसके विचारों या योजनाओं की तनिक सी असफलता उसे बहुत कुंठित करती है। 28 नक्षत्रों में से केवल रेवती नक्षत्र में उत्पन्न जातक सबसे अधिक धार्मिक तथा धर्मान्ध होते हैं। अतः वे ही ईश्वरीय कृपा को सबसे अधिक प्राप्त करते हैं।

3. शिक्षा, रोजगार/आय के साधन वह वैज्ञानिक समाधान, ऐतिहासिक खोजों तथा प्राचीन संस्कृतियों में रूचि लेता है। इन तीनों क्षेत्रों में से किसी में भी वह विख्यात होगा। प्राचीन संस्कृतियों में ज्योतिष और खगोलशास्त्र भी सम्मिलत है।

वह अच्छा चिकित्सक, कवि या ज्योतिषी बन सकता है। यदि वह सरकारी नौकरी में होगा तो बहुत सफल होगा। रेवती नक्षत्र में उत्पन्न व्यक्ति प्रायः विदेशों में जा बसते हैं। विदेश से मेरा तात्पर्य जन्मस्थान से भी हो सकता है। वह अपने प्रयासों से जीवन में उन्नति करेगा। उसमें दूर (परदेश) जन्मजात बुद्धिमता तथा योग्यता होती है। वह लम्बे समय तक किसी एक पद या कार्य पर नहीं रहेगा।

50 वर्ष की आयु तक उसे किये गये प्रयत्नों के अनुसार वांछित मात्रा में लाभ अथवा फल नहीं मिलेगा। उसकी आयु के 23 से 26 वर्ष का समय अच्छा समय होगा जबकि 26 से 42 वर्ष का समय उसके लिए आर्थिक, सामाजिक व मानसिक परेशानी से भरा होगा। केवल 50 वर्ष की स्थायी व निश्चिन्त जीवन होगा। आयु के बाद

4. पारिवारिक जीवन- अपने सम्बन्धियों यहां तक कि पिता से भी कोई सहायता प्राप्त नहीं होगी। दूसरे शब्दों में वह अपने परिजनों से कोई सहायता पाने योग्य भाग्यशाली नहीं होगा। हालांकि उसका विवाहित जीवन ठीक होगा। उसकी पत्नी सामन्जस्यपूर्ण होगी।

5. स्वास्थ्य - उसे बुखार, पेचिस, दांतों के रोग, आंतों का अल्सर तथा कान की पीड़ा होगी।

Share Us On -

Scroll to Top