सूर्य मुद्रा साधना

सूर्य मुद्रा अनामिका अंगुली को अंगूठे की जड़ में लगाकर अंगूठे से दबाने पर सूर्य मुद्रा बनती है। इस मुद्रा के प्रयोग से शरीर का भारीपन कम किया जा सकता है। अनामिका और अंगूठा दोनों ही तेज का विशेष विद्युत प्रवाह करते हैं। योगिक दृष्टि से ललाट, जहां द्विदल कमल आज्ञाचक्र स्थित है उसपर अनामिका और अंगूठे से एक क्रमशः विशेष विधि और भावना से तिलक करके कोई स्त्री अथवा पुरुष अपनी अदृष्ट शक्ति को दूसरे में पहुँचाकर उसको शक्ति द्विगुणित कर सकता है।

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