लिंग मुद्रा साधना

लिंग मुद्रा दाएँ तथा बाएँ हाथ की अंगुलियों को परस्पर फँसाकर दाएँ हाथ के अंगूठे से बाएँ हाथ के अंगूठे को दबाकर तथा बाएँ हाथ के अंगूठे को सीधा खड़ा करने से लिंग मुद्रा बनती है इस मुद्रा का प्रभाव सभी चक्रों तथा पद्मों पर पड़ता है। दसों द्वार, तत्व, नक्षत्र, ग्रह, तिथि आदि सभी गतिशील होकर शरीर में ऊष्मा पैदा करते हैं। यह ऊष्मा विशेष प्रकार की होती है। इससे शरीर का तापक्रम बढ़ता है। जिससे सर्दी नहीं लगती, कफ सूख जाता है और जुकाम आदि सर्दी के रोग नष्ट हो . जाते हैं। सर्दी के कारण होने वाला दर्द नष्ट होता है। पुराने से पुराना नजला इस मुद्रा के लगातार अभ्यास करने से नष्ट हो जाता है।

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