लिंग मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ दाà¤à¤ तथा बाà¤à¤ हाथ की अंगà¥à¤²à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को परसà¥à¤ªà¤° फà¤à¤¸à¤¾à¤•à¤° दाà¤à¤ हाथ के अंगूठे से बाà¤à¤ हाथ के अंगूठे को दबाकर तथा बाà¤à¤ हाथ के अंगूठे को सीधा खड़ा करने से लिंग मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ बनती है इस मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ सà¤à¥€ चकà¥à¤°à¥‹à¤‚ तथा पदà¥à¤®à¥‹à¤‚ पर पड़ता है। दसों दà¥à¤µà¤¾à¤°, ततà¥à¤µ, नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤°, गà¥à¤°à¤¹, तिथि आदि सà¤à¥€ गतिशील होकर शरीर में ऊषà¥à¤®à¤¾ पैदा करते हैं। यह ऊषà¥à¤®à¤¾ विशेष पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की होती है। इससे शरीर का तापकà¥à¤°à¤® बढ़ता है। जिससे सरà¥à¤¦à¥€ नहीं लगती, कफ सूख जाता है और जà¥à¤•à¤¾à¤® आदि सरà¥à¤¦à¥€ के रोग नषà¥à¤Ÿ हो . जाते हैं। सरà¥à¤¦à¥€ के कारण होने वाला दरà¥à¤¦ नषà¥à¤Ÿ होता है। पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ से पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¤¾ नजला इस मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ के लगातार अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ करने से नषà¥à¤Ÿ हो जाता है।