ज्ञान मुद्रा साधना

ज्ञान मुद्रा तर्जनी अंगुली को ऊपर अंगूठे से मिलाने पर ज्ञान मुद्रा बनती है। अर्थात् अग्नि तत्व और वायु तत्व का संसर्ग होता है इसी को ज्ञान मुद्रा कहते हैं। वायु तत्व को अग्नि तत्व से दबाने से इसका प्रभाव ज्ञान तन्तुओं पर पड़ता है। इस मुद्रा का नित्य ४५ मिनट अभ्यास करने से ज्ञान तन्तु खुल जाते हैं और मस्तिष्क बढ़ जाता है। यह मुद्रा कम दिमाग वालों को, पागलपन में, तथा विद्यार्थियों को अति लाभदायक है। अनिद्रा में (कम नींद या अधिक नींद में) पूजा पाठ में मन न लगना, स्मरण शक्ति कमजोर हो जाना, क्रोध अधिक आना इत्यादि में इस मुद्रा को करना अति लाभदायक होता है। यदि एक जगह बैठकर करने का समय न हो तो चलते-फिरते, उठते-बैठते, सोते-जागते इसे कर सकते हैं। ज्ञान मुद्रा के सतत् अभ्यास से आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है। ज्ञान मुद्रा के करने से शरीर के तत्व तथा स्वास प्रणाली यथानुसार बदल जाते हैं। इस मुद्रा को स्त्री पुरुष तथा युवक सब कर सकते हैं।

Share Us On -

Scroll to Top