हमारी उरà¥à¤œà¤¾ को मूलाधार सà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ ान चकà¥à¤° मणिपà¥à¤°à¤® चकà¥à¤° अनाहत चकà¥à¤° बिशà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ चकà¥à¤° आजà¥à¤žà¤¾ चकà¥à¤° फिर यह सहसà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤° चकà¥à¤° मैं पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करती है उपरानà¥à¤¤ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® जागृति होती है यह चकà¥à¤° मसà¥à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤• में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ होता है, मसà¥à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤• में à¤à¥€ जिसको हम बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ बोलते है। इसका मूल मंतà¥à¤° "à¥" है, यह चकà¥à¤° जागृत होते ही अनंत सिदà¥à¤§à¤¿ मिलती है, वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ इतना सकà¥à¤·à¤® हो जाता है की वह अपने आप को à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ से दूसरे सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर सूकà¥à¤·à¥à¤® रूप से ले जा सकता है। वह अपनी इचà¥à¤›à¤¾ से मोकà¥à¤· पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर सकता यही उसको अनंत लोक का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होता है, वह पूरà¥à¤£ होता है। वह देव तà¥à¤²à¥à¤¯ होता है। सहसà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤° चकà¥à¤° मसà¥à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤• में बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¨à¥à¤§à¥à¤° से ऊपर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ सà¤à¥€ शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का केनà¥à¤¦à¥à¤° है। इस चकà¥à¤° का रंग अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤§à¤¨à¥à¤· के समान होता है तथा इसमें अनेक पंखà¥à¤¡à¤¼à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ वाला कमल का फूल का अनà¥à¤à¤µ होता है। इस चकà¥à¤° में अ से कà¥à¤· तक के सà¤à¥€ सà¥à¤µà¤° और वरà¥à¤£ धà¥à¤µà¤¨à¤¿ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होती रहती है। यह कमल अधोखà¥à¤²à¥‡à¤‚ होते हैं तथा यह अधोमà¥à¤– आननà¥à¤¦ का केनà¥à¤¦à¥à¤° होता है। साधक अपनी साधना की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ मूलाधार चकà¥à¤° से करके सहसà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤° चकà¥à¤° में पूरà¥à¤£à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करता है। इस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर पà¥à¤°à¤¾à¤£ तथा मन के सà¥à¤¥à¤¿à¤° हो जाने पर सà¤à¥€ शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ à¤à¤•à¤¤à¥à¤° होकर असमà¥à¤ªà¥à¤°à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¤ समाधि की योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करती है। सहसà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤° चकà¥à¤° में धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करने से उस चकà¥à¤° में पà¥à¤°à¤¾à¤£ और मन सà¥à¤¥à¤¿à¤° होता है, तो संसार के बà¥à¤°à¥‡ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का नाश होकर तथा योग के कारण अचà¥à¤›à¥‡ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के न होने से पà¥à¤¨à¤ƒ उस पà¥à¤°à¤¾à¤£ का जनà¥à¤® इस संसार में नहीं होता। à¤à¤¸à¥‡ साधक अचà¥à¤›à¥‡ करà¥à¤® करने और बà¥à¤°à¥‡ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का नाश करने में सफलता पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर लेते हैं। खेचरी की सिदà¥à¤§à¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने वाले साधक अपने मन को वश में कर लेते हैं, उनकी आवाज à¤à¥€ निरà¥à¤®à¤² हो जाती है। आजà¥à¤žà¤¾ चकà¥à¤° को समà¥à¤ªà¥à¤°à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¤ समाधि में जीवातà¥à¤®à¤¾ का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ कहा जा सकता है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यही दिवà¥à¤¯ दृषà¥à¤Ÿà¤¿ का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है। इस शकà¥à¤¤à¤¿ को दिवà¥à¤¯à¤¦à¥ƒà¤·à¥à¤Ÿà¤¿ तथा शिव की तीसरी आंख à¤à¥€ कहते हैं। इस तरह असमà¥à¤ªà¥à¤°à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¤ समाधि में जीवातà¥à¤®à¤¾ का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤°à¤¨à¥à¤§à¥à¤° है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि इसी सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर पà¥à¤°à¤¾à¤£ तथा मन के सà¥à¤¥à¤¿à¤° हो जाने से असमà¥à¤ªà¥à¤°à¤œà¥à¤žà¤¾à¤¤ समाधि पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है। साधक सहसà¥à¤°à¤¾à¤° चकà¥à¤° मे जाने के लिये लिंग मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ में बैठे! मà¥à¤Ÿà¥à¤ ी बाà¤à¤§à¥‡ और अंदर के अंगà¥à¤ े को खड़ा रखे, अनà¥à¤¯ अंगà¥à¤²à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को बंधी हà¥à¤ˆ रखे। सहसà¥à¤°à¤¾à¤° चकà¥à¤° में मन लगाà¤, कूटसà¥à¤¥ में दृषà¥à¤Ÿà¤¿ रखे! अपनी शकà¥à¤¤à¤¿ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° 21 बार लंबा शà¥à¤µà¤¾à¤¸ लेवे और छोडे! सहसà¥à¤°à¤¾à¤°à¤šà¤•à¥à¤° को वà¥à¤¯à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ में अतल लोक और समिषà¥à¤Ÿà¤¿ में सतà¥à¤¯ लोक कहते है! ये à¤à¤• ही सतà¥à¤¯ है बाकी सब मिथà¥à¤¯à¤¾ है, इसी कारण इस को सतà¥à¤¯à¤²à¥‹à¤• कहते है! सहसà¥à¤°à¤¾à¤°à¤šà¤•à¥à¤° मे हजार पंखड़ियाठहोती है। यहा निरà¥à¤µà¤¿à¤•à¤²à¥à¤ª समाधि लà¤à¥à¤¯ होती है। परमातà¥à¤®à¤¾ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ और साधक à¤à¤• होते है। इस चकà¥à¤° मे धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ साधक को परमातà¥à¤® शकà¥à¤¤à¤¿ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ कराता है! जागृति करवाने हेतॠमंतà¥à¤° पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ हेतॠसंपरà¥à¤• करें