सूरà¥à¤¯ की विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ बलाबल अवसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं का दशाफल पर पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ 1. परम उचà¥à¤š अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ मेष के दश अंश पर रहने से उसकी दशा में धरà¥à¤®-करà¥à¤® में पà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿ होती है और पिता का संचय किया हà¥à¤† धन तथा à¤à¥‚मि का लाठहोता है। सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ पà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤¦à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ से सà¥à¤– तथा साहस, यश, राजà¥à¤¯, मान, सà¥à¤¸à¤‚गति, à¤à¥à¤°à¤®à¤£ शीलता और विजय पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है। 2. उचà¥à¤š सूरà¥à¤¯ होने से उसकी दशा में धन, अनà¥à¤¨ तथा पशà¥à¤“ं की वृदà¥à¤§à¤¿ होती है। बंधà¥à¤µà¤°à¥à¤—ों से à¤à¤—ड़ा के कारण परदेश वास और à¤à¥à¤°à¤®à¤£ होता है। राजा से धन पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿, वारांगनाओं में रति-विलास और गीतादि में पà¥à¤°à¥‡à¤® होता है। घोड़े तथा सà¥à¤¥à¤¾à¤¦à¤¿ का सà¥à¤– à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। 3. आरोही अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ उचà¥à¤šà¤¾à¤à¤¿à¤²à¤¾à¤·à¥€ सूरà¥à¤¯ की दशा में आनंद, इजà¥à¤œà¤¤ और दानशीलता होती है। सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€-पà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤¦à¤¿à¤•, पृथà¥à¤µà¥€, गौ, घोड़े, हथी और कृषि से सà¥à¤– होता है। 4. अवरोही अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ उचà¥à¤š से नीच की ओर जब सूरà¥à¤¯ जाता है तो उसकी दशा में शरीर में रोग, कषà¥à¤Ÿ, मितà¥à¤°à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ से विरोध, चतà¥à¤·à¥à¤ªà¤¦, गृह, कृषि और दà¥à¤°à¤µà¥à¤¯ की हानि होती है। राजा से कोप, अगà¥à¤¨à¤¿, à¤à¤—ड़े का à¤à¤¯ तथा परदेश वास होता है। 5. परम नीच सूरà¥à¤¯ की दशा में माता-पिता की मृतà¥à¤¯à¥, सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€-पà¥à¤¤à¥à¤°, पशà¥, पृथà¥à¤µà¥€ तथा गृह आदि में हानि होती है। परदेश वास होता है। à¤à¤¯ और मृतà¥à¤¯à¥ की आशंका होती है 6. नीच सूरà¥à¤¯ की दशा में राजकोप से धन तथा मान की हानि होती है। सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ तथा पà¥à¤¤à¥à¤°, मितà¥à¤°à¤¾à¤¦à¤¿ से कà¥à¤²à¥‡à¤¶ होता है और अपने किसी सà¥à¤µà¤œà¤¨ की मृतà¥à¤¯à¥ होती है। 7. मूल तà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‹à¤£ में जब सूरà¥à¤¯ रहता है तो उसकी दशा में सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€-पà¥à¤¤à¥à¤°, कà¥à¤Ÿà¥à¤‚ब, पृथà¥à¤µà¥€, राजा, धन, पशॠऔर वाहनादि के सà¥à¤– होते हैं तथा पद à¤à¤µà¤‚ मान की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है। 8. सà¥à¤µà¤—ृही रवि की दशा में विदà¥à¤¯à¤¾ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿, विदà¥à¤¯à¥‹à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¿ से यश और राजा के यहां मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है। पृथà¥à¤µà¥€ से उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿, कà¥à¤Ÿà¥à¤‚बों से सà¥à¤– और कृषि, दà¥à¤°à¤µà¥à¤¯ तथा मान की वृदà¥à¤§à¤¿ होती है। 9. अति मितà¥à¤° गृही जब सूरà¥à¤¯ होता है तो उसकी दशा में सà¥à¤–, आनंद, सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€-पà¥à¤¤à¥à¤° और धन इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ से सà¥à¤– होता है। जातक को वसà¥à¤¤à¥à¤°, à¤à¥‚षण तथा वाहनादि का à¤à¥€ सà¥à¤– à¤à¤µà¤‚ कूप, तड़ागादि खà¥à¤¦à¤µà¤¾à¤¨à¥‡ का सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ होता है। 10. मितà¥à¤°-गृही सूरà¥à¤¯ होने से उसकी दशा में जातक को अपनी जाति दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ समà¥à¤®à¤¾à¤¨, पà¥à¤¤à¥à¤°, मितà¥à¤° तथा राज से सà¥à¤– होता है। अपने बंधà¥à¤µà¤°à¥à¤—ों से पà¥à¤°à¥‡à¤® बढ़ता है, पृथà¥à¤µà¥€ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है और वसà¥à¤¤à¥à¤°, à¤à¥‚षण तथा वाहन आदि का सà¥à¤– होता है। 11. समगृही सूरà¥à¤¯ होने से उसकी दशा में कृषि, पृथà¥à¤µà¥€ और पशॠआदि से सà¥à¤– पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। कनà¥à¤¯à¤¾ संतान उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ का सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है और अपने जनों से समà¤à¤¾à¤µ (अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ न à¤à¤—ड़ा न मितà¥à¤°à¤¤à¤¾) परंतॠऋण से दà¥à¤ƒà¤–ी रहता है। 12. शतà¥à¤°à¥à¤—ृही सूरà¥à¤¯ होने से उसकी दशा में संतान, सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ और धन की हानि होती है। सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ से à¤à¤—ड़ा संà¤à¤µ होता है और राजा, अगà¥à¤¨à¤¿, à¤à¤µà¤‚ चोर मà¥à¤•à¤¦à¤®à¥‡à¤¬à¤¾à¤œà¥€ से à¤à¤¯ होता है। 13. जब रवि अतिशतà¥à¤°à¥ गृही होता है तो उसकी दशा में सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€, पà¥à¤¤à¥à¤° और संपतà¥à¤¤à¤¿ की हानि होती है। पà¥à¤¤à¥à¤°-मितà¥à¤° तथा पशà¥à¤“ं से कà¥à¤²à¥‡à¤¶ और अपने जाति वरà¥à¤— से मतà¤à¥‡à¤¦ होता है। 14. उचà¥à¤š नवांश में जब रवि रहता है तो उसकी दशा में जातक को साहस, à¤à¤—ड़े से धन की वृदà¥à¤§à¤¿ और धनागम होता है। अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से सà¥à¤– पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ संà¤à¥‹à¤— à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€-धन दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ लाठà¤à¥€ होता है। परंतॠपितृ-कà¥à¤² के जनों में बार-बार कà¥à¤·à¤¤à¤¿ होती है। 15. यदि सूरà¥à¤¯ नीच नवांश में हो तो उसकी दशा में परदेश यातà¥à¤°à¤¾ में सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€-पà¥à¤¤à¥à¤°, धन तथा पृथà¥à¤µà¥€ की हानि होती है। à¤à¤¸à¥€ दशा में जातक मानसिक वà¥à¤¯à¤¥à¤¾ से वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¥à¤², जà¥à¤µà¤° से पीड़ित और गà¥à¤ªà¥à¤¤à¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की वेदना से दà¥à¤ƒà¤–ी होता है। 16. उचà¥à¤šà¤¸à¥à¤¥ सूरà¥à¤¯ यदि नीच नवमांश का हो तो उसकी दशा में सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ की मृतà¥à¤¯à¥, जातक के समीपी कà¥à¤Ÿà¥à¤®à¥à¤¬à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को à¤à¤¯ à¤à¤µà¤‚ मृतà¥à¤¯à¥ और संतान को आपतà¥à¤¤à¤¿ होती है। 17. नीचसà¥à¤¥ सूरà¥à¤¯ यदि उचà¥à¤š नवमांश में हो तो उसकी दशा के आदि में महान सà¥à¤– और उचà¥à¤š मान की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है। पर, दशा के अंत में विपरीत फल होता है। 18. पाप षषà¥à¤ ांश में यदि सूरà¥à¤¯ रहता है तो उसकी दशा में पिता और पितृ-पकà¥à¤· के लोगों को कà¥à¤²à¥‡à¤¶ और मृतà¥à¤¯à¥ का à¤à¤¯ होता है। राजा के कोप से जातक को à¤à¤¯, दà¥à¤ƒà¤– तथा देश निकाला à¤à¥€ संà¤à¤µ होता है। जातक सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ का चिड़चिड़ा à¤à¤µà¤‚ शिर की वेदना से वà¥à¤¯à¤¥à¤¿à¤¤ होता है। 19. पारवतांश इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ में यदि सूरà¥à¤¯ हो तो उसकी दशा में जातक को सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€, संतान, मितà¥à¤° और कà¥à¤Ÿà¥à¤‚ब का सà¥à¤–, राजा से अनà¥à¤—ृहीत धन तथा मान पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। 20. सरà¥à¤ªà¤ªà¤¾à¤¶ और देषà¥à¤•à¤¾à¤£ का यदि सूरà¥à¤¯ हो तो उसकी दशा में सरà¥à¤ª, विष, अगà¥à¤¨à¤¿ और जलाशय आदि से जातक को à¤à¤¯ तथा अनेकानेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से �
सूरà¥à¤¯ की विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ बलाबल अवसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं का दशाफल पर पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ
1. परम उचà¥à¤š अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ मेष के दश अंश पर रहने से उसकी दशा में धरà¥à¤®-करà¥à¤® में पà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿ होती है और पिता का संचय किया हà¥à¤† धन तथा à¤à¥‚मि का लाठहोता है। सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ पà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤¦à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ से सà¥à¤– तथा साहस, यश, राजà¥à¤¯, मान, सà¥à¤¸à¤‚गति, à¤à¥à¤°à¤®à¤£ शीलता और विजय पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है।
2. उचà¥à¤š सूरà¥à¤¯ होने से उसकी दशा में धन, अनà¥à¤¨ तथा पशà¥à¤“ं की वृदà¥à¤§à¤¿ होती है। बंधà¥à¤µà¤°à¥à¤—ों से à¤à¤—ड़ा के कारण परदेश वास और à¤à¥à¤°à¤®à¤£ होता है। राजा से धन पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿, वारांगनाओं में रति-विलास और गीतादि में पà¥à¤°à¥‡à¤® होता है। घोड़े तथा सà¥à¤¥à¤¾à¤¦à¤¿ का सà¥à¤– à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है।
3. आरोही अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ उचà¥à¤šà¤¾à¤à¤¿à¤²à¤¾à¤·à¥€ सूरà¥à¤¯ की दशा में आनंद, इजà¥à¤œà¤¤ और दानशीलता होती है। सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€-पà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤¦à¤¿à¤•, पृथà¥à¤µà¥€, गौ, घोड़े, हथी और कृषि से सà¥à¤– होता है।
4. अवरोही अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ उचà¥à¤š से नीच की ओर जब सूरà¥à¤¯ जाता है तो उसकी दशा में शरीर में रोग, कषà¥à¤Ÿ, मितà¥à¤°à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ से विरोध, चतà¥à¤·à¥à¤ªà¤¦, गृह, कृषि और दà¥à¤°à¤µà¥à¤¯ की हानि होती है। राजा से कोप, अगà¥à¤¨à¤¿, à¤à¤—ड़े का à¤à¤¯ तथा परदेश वास होता है।
5. परम नीच सूरà¥à¤¯ की दशा में माता-पिता की मृतà¥à¤¯à¥, सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€-पà¥à¤¤à¥à¤°, पशà¥, पृथà¥à¤µà¥€ तथा गृह आदि में हानि होती है। परदेश वास होता है। à¤à¤¯ और मृतà¥à¤¯à¥ की आशंका होती है
6. नीच सूरà¥à¤¯ की दशा में राजकोप से धन तथा मान की हानि होती है। सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ तथा पà¥à¤¤à¥à¤°, मितà¥à¤°à¤¾à¤¦à¤¿ से कà¥à¤²à¥‡à¤¶ होता है और अपने किसी सà¥à¤µà¤œà¤¨ की मृतà¥à¤¯à¥ होती है।
7. मूल तà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‹à¤£ में जब सूरà¥à¤¯ रहता है तो उसकी दशा में सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€-पà¥à¤¤à¥à¤°, कà¥à¤Ÿà¥à¤‚ब, पृथà¥à¤µà¥€, राजा, धन, पशॠऔर वाहनादि के सà¥à¤– होते हैं तथा पद à¤à¤µà¤‚ मान की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है।
8. सà¥à¤µà¤—ृही रवि की दशा में विदà¥à¤¯à¤¾ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿, विदà¥à¤¯à¥‹à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¿ से यश और राजा के यहां मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है। पृथà¥à¤µà¥€ से उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿, कà¥à¤Ÿà¥à¤‚बों से सà¥à¤– और कृषि, दà¥à¤°à¤µà¥à¤¯ तथा मान की वृदà¥à¤§à¤¿ होती है।
9. अति मितà¥à¤° गृही जब सूरà¥à¤¯ होता है तो उसकी दशा में सà¥à¤–, आनंद, सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€-पà¥à¤¤à¥à¤° और धन इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ से सà¥à¤– होता है। जातक को वसà¥à¤¤à¥à¤°, à¤à¥‚षण तथा वाहनादि का à¤à¥€ सà¥à¤– à¤à¤µà¤‚ कूप, तड़ागादि खà¥à¤¦à¤µà¤¾à¤¨à¥‡ का सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ होता है।
10. मितà¥à¤°-गृही सूरà¥à¤¯ होने से उसकी दशा में जातक को अपनी जाति दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ समà¥à¤®à¤¾à¤¨, पà¥à¤¤à¥à¤°, मितà¥à¤° तथा राज से सà¥à¤– होता है। अपने बंधà¥à¤µà¤°à¥à¤—ों से पà¥à¤°à¥‡à¤® बढ़ता है, पृथà¥à¤µà¥€ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है और वसà¥à¤¤à¥à¤°, à¤à¥‚षण तथा वाहन आदि का सà¥à¤– होता है।
11. समगृही सूरà¥à¤¯ होने से उसकी दशा में कृषि, पृथà¥à¤µà¥€ और पशॠआदि से सà¥à¤– पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। कनà¥à¤¯à¤¾ संतान उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ का सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है और अपने जनों से समà¤à¤¾à¤µ (अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ न à¤à¤—ड़ा न मितà¥à¤°à¤¤à¤¾) परंतॠऋण से दà¥à¤ƒà¤–ी रहता है।
12. शतà¥à¤°à¥à¤—ृही सूरà¥à¤¯ होने से उसकी दशा में संतान, सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ और धन की हानि होती है। सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ से à¤à¤—ड़ा संà¤à¤µ होता है और राजा, अगà¥à¤¨à¤¿, à¤à¤µà¤‚ चोर मà¥à¤•à¤¦à¤®à¥‡à¤¬à¤¾à¤œà¥€ से à¤à¤¯ होता है।
13. जब रवि अतिशतà¥à¤°à¥ गृही होता है तो उसकी दशा में सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€, पà¥à¤¤à¥à¤° और संपतà¥à¤¤à¤¿ की हानि होती है। पà¥à¤¤à¥à¤°-मितà¥à¤° तथा पशà¥à¤“ं से कà¥à¤²à¥‡à¤¶ और अपने जाति वरà¥à¤— से मतà¤à¥‡à¤¦ होता है।
14. उचà¥à¤š नवांश में जब रवि रहता है तो उसकी दशा में जातक को साहस, à¤à¤—ड़े से धन की वृदà¥à¤§à¤¿ और धनागम होता है। अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से सà¥à¤– पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ संà¤à¥‹à¤— à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€-धन दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ लाठà¤à¥€ होता है। परंतॠपितृ-कà¥à¤² के जनों में बार-बार कà¥à¤·à¤¤à¤¿ होती है।
15. यदि सूरà¥à¤¯ नीच नवांश में हो तो उसकी दशा में परदेश यातà¥à¤°à¤¾ में सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€-पà¥à¤¤à¥à¤°, धन तथा पृथà¥à¤µà¥€ की हानि होती है। à¤à¤¸à¥€ दशा में जातक मानसिक वà¥à¤¯à¤¥à¤¾ से वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¥à¤², जà¥à¤µà¤° से पीड़ित और गà¥à¤ªà¥à¤¤à¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की वेदना से दà¥à¤ƒà¤–ी होता है।
16. उचà¥à¤šà¤¸à¥à¤¥ सूरà¥à¤¯ यदि नीच नवमांश का हो तो उसकी दशा में सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ की मृतà¥à¤¯à¥, जातक के समीपी कà¥à¤Ÿà¥à¤®à¥à¤¬à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को à¤à¤¯ à¤à¤µà¤‚ मृतà¥à¤¯à¥ और संतान को आपतà¥à¤¤à¤¿ होती है।
17. नीचसà¥à¤¥ सूरà¥à¤¯ यदि उचà¥à¤š नवमांश में हो तो उसकी दशा के आदि में महान सà¥à¤– और उचà¥à¤š मान की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होती है। पर, दशा के अंत में विपरीत फल होता है।
18. पाप षषà¥à¤ ांश में यदि सूरà¥à¤¯ रहता है तो उसकी दशा में पिता और पितृ-पकà¥à¤· के लोगों को कà¥à¤²à¥‡à¤¶ और मृतà¥à¤¯à¥ का à¤à¤¯ होता है। राजा के कोप से जातक को à¤à¤¯, दà¥à¤ƒà¤– तथा देश निकाला à¤à¥€ संà¤à¤µ होता है। जातक सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ का चिड़चिड़ा à¤à¤µà¤‚ शिर की वेदना से वà¥à¤¯à¤¥à¤¿à¤¤ होता है।
19. पारवतांश इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ में यदि सूरà¥à¤¯ हो तो उसकी दशा में जातक को सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€, संतान, मितà¥à¤° और कà¥à¤Ÿà¥à¤‚ब का सà¥à¤–, राजा से अनà¥à¤—ृहीत धन तथा मान पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है।
20. सरà¥à¤ªà¤ªà¤¾à¤¶ और देषà¥à¤•à¤¾à¤£ का यदि सूरà¥à¤¯ हो तो उसकी दशा में सरà¥à¤ª, विष, अगà¥à¤¨à¤¿ और जलाशय आदि से जातक को à¤à¤¯ तथा अनेकानेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से �