पंचांगुली देवी साधना कैसे करे

भविष्य ज्ञान के लिए यह एक सात्विक साधना है।

परन्तु इसके वाममार्गी रूप भी हैं। यहां हम कहना चाहते हैं कि भविष्य के ज्ञान हेतु कर्णपिशाचनी साधना एवं इन साधनाओं में उद्देश्य ही समान है। शक्तियां समान नहीं हैं। विधि- यह साधना किसी भी शुभ तिथि से प्रारम्भ करनी चाहिए। वैसे हस्त, मार्गशीर्ष एवं फाल्गुन नक्षत्र निर्देशित हैं। इस मन्त्र का सुबह, दोपहर, अर्धरात्रि में निर्भय होकर जाप करें एक पंचांगुली देवी को एक पान का पत्ता, उसके ऊपर कपूर, कपूर के ऊपर बताशा एवं दो लौंग रखकर कपूर में आग लगायें एवं मां भगवती को समर्पित करें। ऐसा करने में पंचांगुली देवी प्रसन्न होकर साधक को भूत, भविष्य, वर्तमान बताने की सिद्धि प्रदान करती हैं और साधक किसी के भी चेहरे को देख, भूत, भविष्य बताने में सम्पूर्णता, सफलता हासिल कर लेता है। विधि प्रतिदिन की है। 108 दिन में सफलता मिलती है। ध्यान मन्त्र 'ॐ पंचागुलीं महादेवी श्री सीमन्धर शासने। अधिष्ठात्री करस्यासौ शक्तिः श्री त्रिदशेशितुः ॥' 'ॐ नमो पंचागुंली परशरी परशरी माताय मंगल वशीकरणी लोहमय दण्डमाणिनी चौंसठ काम विहडंनी रणमध्ये राउलमध्ये दीवानमध्ये भूतमध्ये प्रेतमध्ये पिशाचमध्ये झोरिंगमध्ये डाकिनीमध्ये शंखिनीमध्ये यक्षिणीमध्ये दोषेणीमध्ये, शेरनीमध्ये गुणीमध्ये गारुणीमध्ये विवारीमध्ये दोषमध्ये दोषा शरणमध्ये दुष्टमध्ये घोरकष्ट मुझ उपरे बुरो जो कोई करावे जड़े जड़ावे तत चित्ते तस माथे श्री माता श्रीं पंचागुंली देवी तणो वज्र निर्धार पड़े ॐ ठं ठं ठं स्वाहा।'

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