शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में इसे चार दलों वाले रकà¥à¤¤ वरà¥à¤£ की पंखà¥à¤¡à¤¼à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से यà¥à¤•à¥à¤¤ बताया गया है। वसà¥à¤¤à¥à¤¤à¤ƒ इसे चार पंखà¥à¤¡à¤¼à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ वाला कमल बताया गया है। इन पंखà¥à¤¡à¤¼à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¦à¤° पीले रंग का चौकोर परागमणà¥à¤¡à¤² है। लिंगमूल पर बीजरूप कà¥à¤£à¥à¤¡à¤²à¤¿à¤¨à¥€ इसी के केनà¥à¤¦à¥à¤° से जà¥à¥œà¥€ होती है। इसकी पंखà¥à¤¡à¤¼à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ नीचे की ओर à¤à¥à¤•à¥€ होती हैं। इसके पीले रंग के पराग वरà¥à¤— आठशूलों, अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ उà¤à¤°à¥‡ हà¥à¤ नà¥à¤•à¥€à¤²à¥‡ सà¥à¤µà¤°à¥‚प में उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ बताई गयी है। ये पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤•à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• हैं और इनके सà¥à¤µà¤°à¥‚प की वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ है, यहां हम मूलाधार में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ देवी-देवता या गà¥à¤£à¥‹à¤‚ को सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ करेंगे और उनके सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ का निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤£ करेंगे। हम à¤à¤• विशेष बात बताना चाहते हैं तथाकथित आधà¥à¤¨à¤¿à¤• यौगियों à¤à¤µà¤‚ तानà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ ने कà¥à¤£à¥à¤¡à¤²à¤¿à¤¨à¥€ चकà¥à¤°à¥‹à¤‚ के देवी-देवता का वरà¥à¤£à¤¨ किया है, वे इनका विवरण पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ से लेने के कारण योग' à¤à¤µà¤‚ 'तनà¥à¤¤à¥à¤°' के विवरणों में अनà¥à¤¤à¤° नहीं कर पाये हैं और उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने दोनों को मिशà¥à¤°à¤¿à¤¤ कर दिया। है। फलतः समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ को ही अनबूठपहेली बना दिया है। जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥ पाठकों को यह समठलेना चाहिठकि 'योग' और 'तनà¥à¤¤à¥à¤°' दो विपरीत मारà¥à¤— हैं और दो समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ की देन है। कà¥à¤£à¥à¤¡à¤²à¤¿à¤¨à¥€ के चकà¥à¤°à¥‹à¤‚ के देवी-देवता के समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ में दोनों के अलग-अलग विवरण है तनà¥à¤¤à¥à¤° के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° मूलाधार की देवियां शाकà¥à¤¤ तनà¥à¤¤à¥à¤° में कमल à¤à¤µà¤‚ उसके अंगों की आकृति और रंग तो उपरà¥à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ ही हैं, किनà¥à¤¤à¥ शकà¥à¤¤à¤¿ वितरण à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में देवी-देवता के निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤£ का वरà¥à¤£à¤¨ à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का है। परनà¥à¤¤à¥ इनके अरà¥à¤¥ में कोई विशेष अनà¥à¤¤à¤° नहीं है। शाकà¥à¤¤-तनà¥à¤¤à¥à¤° के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° कमल के चारों अधोमà¥à¤–ी लाल रंग के दलों में काली का निवास है। इसके पीले धरातल में लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ à¤à¤µà¤‚ तà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‹à¤£ में डाकिनी रहती है। तà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‹à¤£ को तीनों à¤à¥à¤œà¤¾à¤à¤‚ तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤° सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¥€ हैं। तà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‹à¤£ के केनà¥à¤¦à¥à¤° में शिवलिंग है। सà¥à¤·à¥à¤®à¥à¤¨à¤¾ में शिवशकà¥à¤¤à¤¿ है। मनà¥à¤¤à¥à¤° शाकà¥à¤¤ तनà¥à¤¤à¥à¤° में मूलाधार की शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को जागà¥à¤°à¤¤ करने के लिठबीजमनà¥à¤¤à¥à¤° à¤à¥€ दिये गये हैं। इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ बीजमनà¥à¤¤à¥à¤° इसलिठकहा जाता है कि ये शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ चकà¥à¤°à¥‹à¤‚ में बीजरूप, अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ कारण रूप में रहती हैं। इन मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ की धà¥à¤µà¤¨à¤¿ में à¤à¤•à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¤à¤¾ की à¤à¤¾à¤µ तरंगें इनको आवेशित करती हैं। उपर बीजाकà¥à¤·à¤° दिये हà¥à¤ हैं। इनसे मनà¥à¤¤à¥à¤° निरà¥à¤®à¤¾à¤£ किया जाता है। तानà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤• विधि में इन मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ का मानसिक या धà¥à¤µà¤¨à¤¿ जाप किया जाता है। मंतà¥à¤° निरà¥à¤®à¤¾à¤£ की जानकारी के लिठदिठगठनंबर पर संपरà¥à¤• करें 9630212111 वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• अरà¥à¤¥ तनà¥à¤¤à¥à¤° के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° चारों रकà¥à¤¤à¤¿à¤® दल चार देवियों के पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• हैं, जो मूलाधार की देवियां मानी जाती हैं। इनमें शौरà¥à¤¯, पराकà¥à¤°à¤®, आकà¥à¤°à¤¾à¤®à¤• पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿, à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤•-शकà¥à¤¤à¤¿, शतà¥à¤°à¥à¤¦à¤®à¤¨, कà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ (कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤¶à¥€à¤²à¤¤à¤¾), à¤à¥‚खा आदि गà¥à¤£ हैं। इन दलों पर उन देवियों के बीजमनà¥à¤¤à¥à¤° लिखे हà¥à¤ हैं। इस धà¥à¤µà¤¨à¤¿ के विशेष सारवर पाठसे (यह मानसिक à¤à¥€ हो सकता है) इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ लगाकर उदà¥à¤µà¥‡à¤²à¤¿à¤¤ किया जा सकता है। इससे ये देवियां जागà¥à¤°à¤¤ हो जाती हैं। इससे साधक में इन गà¥à¤£à¥‹à¤‚ की तीवà¥à¤°à¤¤à¤¾ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हो जाती है। à¤à¥‹à¤—, à¤à¥‚मि, अधिकार आदि इनकी पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ हैं। यहां से वह शकà¥à¤¤à¤¿ उदà¥à¤à¤µ होती है, जो à¤à¥‹à¤— के पीले रंग का धरातल à¤à¥‹à¤— का à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤•à¤µà¤¾à¤¦ है। यह देवी लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• है। धन, à¤à¤¶à¥à¤µà¤°à¥à¤¯, à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤•à¤°à¥‚प की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के लिठकà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤¶à¥€à¤² होती है। à¤à¥‹à¤—ेचà¥à¤›à¤¾à¥¤ ये हमेशा जवान रहती हैं, इसलिठइनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤° सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¥€ कहा जाता है। तà¥à¤°à¤¿à¤à¥à¤œ की तीनों à¤à¥à¤œà¤¾à¤à¤‚ तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤° à¤à¥ˆà¤°à¤µà¥€ या तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤° सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¥€ है, अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ कामना, तृषà¥à¤£à¤¾ और तà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‹à¤£ के मधà¥à¤¯ में डाकिनी का निवास है, जिसे रकà¥à¤¤à¤µà¤°à¥à¤£ नेतà¥à¤°à¥‹à¤‚ वाली (तामसी), पशà¥à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ के मन में à¤à¤¯ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करने वाली दाहिने हाथ में शूल और खरा तथा बायें हाथ में तलवार à¤à¤µà¤‚ मदिरा का पà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾ (मादकता) है। इसे खीर (वीरà¥à¤¯) पसनà¥à¤¦ है। इस डाकिनी का अरà¥à¤¥ उस शकà¥à¤¤à¤¿ से है, जो कामà¤à¤¾à¤µ, उगà¥à¤°à¤¤à¤¾, तीकà¥à¤·à¥à¤£à¤¤à¤¾, चंचलता, मादकता आदि का बीजरूप है। यह तब तक शानà¥à¤¤ नहीं होती, जब तक कà¥à¤·à¥€à¤° (वीरà¥à¤¯ या रज) का à¤à¤•à¥à¤·à¤£ नहीं कर लेती, अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ जब à¤à¥€ यह डाकिनी जागà¥à¤°à¤¤ होती है, वीरà¥à¤¯ या रज का à¤à¤•à¥à¤·à¤£ करना चाहती है। कà¥à¤› लोग इसे योनि का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• बता रहे हैं, किनà¥à¤¤à¥ यह योनि का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• नहीं है। यह तà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‹à¤£ सà¥à¤·à¥à¤®à¥à¤¨à¤¾ के सिरे पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। शरीर में सà¥à¤¥à¥‚ल रूप में à¤à¥€ रीढ़ की हडà¥à¤¡à¥€ की रचना यहां तà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‹à¤£à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• होती है। इस तà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‹à¤£ के मधà¥à¤¯ तक सà¥à¤·à¥à¤®à¥à¤¨à¤¾ नाड़ी आती है। मà¥à¤– पर यह तà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‹à¤£ है। इसकी संरचना ही इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° है। हडà¥à¤¡à¥€ का कवर तो नीचे तक है। यह ऊरà¥à¤œà¤¾ तà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‹à¤£ तà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾à¤¸à¥à¤¥à¤¿ जोड़ पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ ऊरà¥à¤œà¤¾ कमल चकà¥à¤° के मधà¥à¤¯ में है। इसमें उपरà¥à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ हैं। जब तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¥à¤° सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¥€, अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ कामना, इचà¥à¤›à¤¾ और तृषà¥à¤£à¤¾ के à¤à¤¾à¤µ की ऊरà¥à¤œà¤¾ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होकर तà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‹à¤£ की रेखाओं में दौड़ती है, तो उगà¥à¤°à¤°à¥‚प डाकिनी ऊरà¥à¤œà¤¾ का जनà¥à¤® तà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‹à¤£ के रकà¥à¤¤à¤¿à¤® धरातल से होता है। यह अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ उगà¥à¤°, चपला, तीकà¥à¤·à¥à¤£, मादक और शूल की वेदना देने वाली होती है। इस डाकिनी में शिव, अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ आतà¥à¤®à¤¾ की शकà¥à¤¤à¤¿ मिलती है, तो तà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‹à¤£ के केनà¥à¤¦à¥à¤° से शिवलिंग का उदà¥à¤à¤µ होता है, अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ शिव की सृजनातà¥à¤®à¤• शकà¥à¤¤à¤¿ का विकास होता है। यह शकà¥à¤¤à¤¿ जब ऊपर की ओर चढ़ती है, तो सà¥à¤·à¥à¤®à¥à¤¨à¤¾ से कà¥à¤°à¥‰à¤¸ करने वाले तà¥à¤°à¤¿à¤à¥à¤œ के à¤à¥à¤œà¤¾ बिनà¥à¤¦à¥ पर विदà¥à¤¯à¥à¤¤ की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ होती है। यही वीरà¥à¤¯ की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ करने वाली होती हैं। मूलाधार-सिदà¥à¤§à¤¿ और लाठमूलाधार चकà¥à¤° को कà¥à¤£à¥à¤¡à¤²à¤¿à¤¨à¥€ साधना में सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• महतà¥à¤¤à¥à¤µ दिया जाता है। आधार के बिना कोई ऊंचाई नहीं होती और न ही बीज के बिना वृकà¥à¤· बनता है। जिस शकà¥à¤¤à¤¿ को सà¥à¤·à¥à¤®à¥à¤¨à¤¾ में ऊपर की ओर उठाया जाता है, उसका उदà¥à¤à¤µ मूलाधार में ही होता है। इसीलिठइसे आधार मूल, अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ मूलाधार कहा जाता है। मूलाधार में जो कà¥à¤£à¥à¤¡à¤²à¤¿à¤¨à¥€ à¤à¤µà¤‚ लिंग रूप शिव, अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ आतà¥à¤®à¤¾ की शकà¥à¤¤à¤¿ है, वही सà¥à¤·à¥à¤®à¥à¤¨à¤¾ मूलाधार से निकलकर ऊपर उठती हà¥à¤ˆ पांच चकà¥à¤°à¥‹à¤‚ को बेधती हà¥à¤ˆ ऊपर छठे चकà¥à¤° सहसà¥à¤°à¤¾à¤° में पà¥à¤°à¤µà¤¿à¤·à¥à¤Ÿ होती है। वहां शिव है, अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ आतà¥à¤®à¤¾ की शकà¥à¤¤à¤¿ है। इससे मूलाधार की à¤à¥ˆà¤°à¤µà¥€ शकà¥à¤¤à¤¿ का मिलन होता है। इससे रति पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ हो जाती है और यह रति करोड़ों सूरà¥à¤¯ तेज को उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करती है। इससे साधक की आतà¥à¤®à¤¿à¤• तरंगें बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾à¤£à¥à¤¡à¥€à¤¯ शिव ततà¥à¤¤à¥à¤µ से मिल जाती हैं। तब वह बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® हो जाता है, अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ उसमें और परमशिव या परमातà¥à¤®à¤¾ या पà¥à¤°à¥à¤· या बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® में कोई विà¤à¥‡à¤¦ नहीं होता। यह साधक को इनà¥à¤¦à¥à¤° की तरह à¤à¥‹à¤•à¥à¤¤à¤¾ बनाने वाली, à¤à¤¶à¥à¤µà¤°à¥à¤¯, शकà¥à¤¤à¤¿, पराकà¥à¤°à¤®, शौरà¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ वीरता पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करने वाली सà¥à¤¥à¤¾à¤¯à¤¿à¤¤à¥à¤µ, संकलà¥à¤ª, दृढ़ता, करà¥à¤®à¤ ता, विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ आदि से समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करने वाली, लकà¥à¤·à¥à¤¯à¤µà¥‡à¤§ की शकà¥à¤¤à¤¿, धन, सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ आदि पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करने वाली है। इससे इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯ संयम की शकà¥à¤¤à¤¿ विकसित होती है। ये पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ साधक के वश में रहती है। इससे ओज की वृदà¥à¤§à¤¿ होती है।