सरà¥à¤µ पà¥à¤°à¤¥à¤® जो कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ आप सà¤à¥€ को हमने करवा दी थी उसका पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— अब हम यहाठकरेंगे ताकि आप आपके सà¤à¥€ सात चकà¥à¤° जागृत कर ले लेकिन उसके पहले कà¥à¤› और à¤à¥€ आजà¥à¤žà¤¾à¤šà¤•à¥à¤° à¤à¤• सारà¥à¤µà¤à¥Œà¤®à¤¿à¤• सतà¥à¤¯ है और यह सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ में होता है, हमारे माथे के à¤à¤•à¤¦à¤® बीचों-बीच जहाठहमारी अतिसूकà¥à¤·à¥à¤® इड़ा-पिंगला-सà¥à¤·à¥à¤®à¥à¤¨à¤¾ नाड़ियां मिलती हैं लेकिन दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ से यह आजà¥à¤žà¤¾à¤šà¤•à¥à¤° कà¥à¤› ही सिदà¥à¤§ योगियों का पूरà¥à¤£ जागृत होता है और बाकि कà¥à¤› लोगों में यह पूरà¥à¤£ जागृत न होकर केवल सà¥à¤ªà¤‚दित अवसà¥à¤¥à¤¾ में रहता है और इसी अवसà¥à¤¥à¤¾ से पूरà¥à¤£ जागृत अवसà¥à¤¥à¤¾ में आपको आने के लिठनिरंतर साधना-रत रहना पड़ता है, धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ और समाधि की चिर-अवसà¥à¤¥à¤¾ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होना पड़ता है | अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤® कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° के विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ और साधक इस आजà¥à¤žà¤¾ चकà¥à¤° को तीसरी आà¤à¤– à¤à¥€ बोलते हैं जिसके खà¥à¤²à¤¨à¥‡ से इस बà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤‚ड के कई सारे अनदेखे रहसà¥à¤¯ आप साकà¥à¤·à¤¾à¤¤ देख पाने में सकà¥à¤·à¤® हो जाते हैं, वहीठहमारे वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• विचारधारा के लोग इस आजà¥à¤žà¤¾à¤šà¤•à¥à¤° को पीनियल या पिटà¥à¤¯à¥‚टरी गà¥à¤°à¤‚थि à¤à¥€ बोलते हैं, लेकिन आज तक इस गà¥à¤°à¤‚थि का होना और इसका सही कारà¥à¤¯ उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• पता नहीं कर सके हैं | यही वह चकà¥à¤° है जो साधना में सबसे महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ बताया गया है कà¥à¤¯à¥‚ंकि बाकी के सारे चकà¥à¤° जैसे मूलाधार, सà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤·à¥à¤ ान, विशà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ आदि इसी अजना चकà¥à¤° से जà¥à¥œà¥‡ होते हैं और ऊरà¥à¤œà¤¾ पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ के जरिये यह चकà¥à¤° à¤à¤•-à¤à¤• करके बाकी के चकà¥à¤°à¥‹à¤‚ को बेधता हà¥à¤†, शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ करता हà¥à¤† उनको जागà¥à¤°à¤¤ करता जाता है | बताया गया है की पूरà¥à¤µà¤œà¤¨à¥à¤® में अगर आपकी साधना रही होगी तो इस जनम में साधना आजà¥à¤žà¤¾à¤šà¤•à¥à¤° से ही शà¥à¤°à¥‚ होगी लेकिन बाकी के चकà¥à¤° सà¥à¤µà¤¤à¤ƒ खà¥à¤²à¤¤à¥‡ जाà¤à¤‚गे | वैसे जितना ऊरà¥à¤œà¤¾ सà¥à¤ªà¤‚दन का अनà¥à¤à¤µ मैंने आजà¥à¤žà¤¾à¤šà¤•à¥à¤° पर किया है उससे उलट अनाहत चकà¥à¤° आपको कà¥à¤› à¤à¤¸à¤¾ अनà¥à¤à¤µ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ करवाà¤à¤—ा जैसे की आपके सीने के ऊपर कोई पहिया हवा में लगातार घूमता रहता हो लेकिन यहाठà¤à¥€ आजà¥à¤žà¤¾à¤šà¤•à¥à¤° ही आगे रहता है जैसे की वह सà¤à¥€ चकà¥à¤°à¥‹à¤‚ का राजा हो | जब आजà¥à¤žà¤¾à¤šà¤•à¥à¤° धà¥à¤¯à¤¾à¤¨-साधना शà¥à¤°à¥‚ करें तो मंतà¥à¤° चà¥à¤¨à¤¾à¤µ अवशà¥à¤¯ थोड़ा सावधानी से करें कà¥à¤¯à¥‚ंकि सारा कà¥à¤› इस मंतà¥à¤° की ऊरà¥à¤œà¤¾ से समबनà¥à¤§à¤¿à¤¤ है, जैसा आपका मंतà¥à¤° वैसा ही आपका मन और वैसे ही आपके अनà¥à¤à¤µ होंगे, वैसे ही सपने होंगे, वैसा ही सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ हो जायेगा, वैसा ही शरीर होने लगेगा | सच यह है की जिसको à¤à¥€ कà¥à¤› à¤à¤¸à¤¾ देखना है जो बà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤£à¥à¤¡ के रहसà¥à¤¯à¥à¤®à¤¯à¥€ वातावरण का अनà¥à¤à¤µ à¤à¤µà¤‚ साकà¥à¤·à¤¾à¤¤ दरà¥à¤¶à¤¨ करवाता है तो वह यह आजà¥à¤žà¤¾à¤šà¤•à¥à¤° ही है, तो जितना आप आजà¥à¤žà¤¾à¤šà¤•à¥à¤° पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ साधने में पारंगत होते जायेंगे उतने ही नित नठरहसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ और आयामों को आप अपनी खà¥à¤²à¥€ आंखों से देख पाà¤à¤‚गे | चूà¤à¤•à¤¿ बंद आà¤à¤–ों से धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करते समय लोगों को कई बार लगता है की सब à¤à¥à¤°à¤® है या मषà¥à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤• में होने वाली रासायनिक, यौगिक कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤“ं का परिणाम है तो मैं कहूंगा की आप खà¥à¤²à¥€ आà¤à¤–ों से तà¥à¤°à¤¾à¤Ÿà¤• का अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ कीजिये और à¤à¤• दिन आà¤à¤—ा जब आपके काफी à¤à¥à¤°à¤® दूर होने लगेंगे, आपको दिखेगा की कैसे परमेशà¥à¤µà¤° निराकार होते हà¥à¤ à¤à¥€ हमको साकà¥à¤·à¤¾à¤¤ दीखते हैं, कैसे इसी पृथà¥à¤µà¥€ पर à¤à¤• अदृशà¥à¤¯ अवसà¥à¤¥à¤¾ में कà¥à¤› अलग ही संसार बसा हà¥à¤† है और ये वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• इनको ढूंढने अंतरिकà¥à¤· में निकल पड़ते हैं जबकि सब यहीं है हमारे आसपास बस आपको वह अवसà¥à¤¥à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करनी होगी ये सà¤à¥€ रहसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को देखने, समà¤à¤¨à¥‡ और जानने के लिठ| सबसे पहले à¤à¤• बात की जिस किसी à¤à¤¾à¤ˆ को संशय है की à¤à¤—वानà¥, ईशà¥à¤µà¤°, अलà¥à¤²à¤¾à¤¹, गॉड है ही नहीं बस यह पृथà¥à¤µà¥€ और इसका जीवन à¤à¤• सतत पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ के तहत हà¥à¤† है तो उनको तो यह आजà¥à¤žà¤¾à¤šà¤•à¥à¤° और इसके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ तà¥à¤°à¤¾à¤Ÿà¤• कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ जरूर जरूर करनी चाहिठताकि उनकी यह सोंच और अविशà¥à¤µà¤¾à¤¸ à¤à¤—वानॠपà¥à¤°à¤¤à¤¿ दूर हो सके | वो सà¤à¥€ à¤à¤¾à¤ˆ जो आजà¥à¤žà¤¾à¤šà¤•à¥à¤° पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करते हैं, तà¥à¤°à¤¾à¤Ÿà¤• करते हैं खासकर खà¥à¤²à¥€ आà¤à¤–ों से वो अवशà¥à¤¯ ही मेरी बातों से सशरà¥à¤¤ सहमत होंगे | कितने ही लोगों से सà¥à¤¨à¤¾ है अमà¥à¤• संत - महातà¥à¤®à¤¾ तà¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾à¤²à¤¦à¤°à¥à¤¶à¥€ हैं थे तो वो सही सà¥à¤¨à¤¾ है कà¥à¤¯à¥‚ंकि यही वो सिदà¥à¤§ पà¥à¤°à¥à¤· हैं जो साधना के उचà¥à¤šà¤¤à¤® सà¥à¤¤à¤° को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करते हà¥à¤ सà¥à¤µà¤¯à¤‚ à¤à¤—वानॠतà¥à¤²à¥à¤¯ होजाते हैं, ना केवल इनका आजà¥à¤žà¤¾à¤šà¤•à¥à¤° पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ जागà¥à¤°à¤¤ होता है बलà¥à¤•à¤¿ सà¤à¥€ और बाकि के चकà¥à¤° à¤à¥€ इनके जागृत होते हैं | आजà¥à¤žà¤¾à¤šà¤•à¥à¤° की वह विशेषता जिसने मà¥à¤à¥‡ सबसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ किया वो यह की जब यह सà¥à¤ªà¤‚दित हो जागà¥à¤°à¤¤ अवसà¥à¤¥à¤¾ की और तà¥à¤µà¤°à¤¿à¤¤ हो और लगातार 24 घंटे - सातों दिन - बारह महीने यह काम करता है और बावजूद इसके साधक को इससे कोई ख़ास परेशानी नहीं महसूस होती बलà¥à¤•à¤¿ à¤à¤• अलग ही तरह का आनंद, नशा, शरीर पृथà¥à¤µà¥€ से कà¥à¤› फ़ीट ऊपर हवा में, ऊरà¥à¤œà¤¾ का औरा या कहो की ऊरà¥à¤œà¤¾ का घेरा चेहरे के चारों तरफ, हाथों से, पैरों से निकलता, बहता और फिर वापस आजà¥à¤žà¤¾à¤šà¤•à¥à¤° केंदà¥à¤° में वापिस टकà¥à¤•à¤° मारता रहता है |