विशà¥à¤¦à¥à¤§ चकà¥à¤° संरचना इस चकà¥à¤° का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ गले में वहां माना गया है, जहां छाती की दोनों हडà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ जà¥à¤¡à¤¼à¤¤à¥€ हैं। यह चकà¥à¤° उनकी सनà¥à¤§à¤¿ के ऊपर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ होता है। इस कमल के सोलह दल हैं और ये उरà¥à¤§à¥à¤µà¤®à¥à¤–ी हैं। इन दलों का वरà¥à¤£ बैंगनी है। कमल का धरातल आकाश के वरà¥à¤£ का है। इसके केनà¥à¤¦à¥à¤° में शà¥à¤µà¥‡à¤¤à¤µà¤°à¥à¤£ का वृतà¥à¤¤à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• बीजकोष है। यहां शà¥à¤µà¥‡à¤¤ वरà¥à¤£ का हाथी है, जिसकी पीठपर इस वà¥à¤°à¤¤ का à¤à¤¾à¤° है। यह चकà¥à¤° दोषरहित है। विशà¥à¤¦à¥à¤§ चकà¥à¤° देवी-देवता तनà¥à¤¤à¥à¤° विवरण इस कमल के दल में मातंगी की गà¥à¤£ देवियां विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ हैं। वृतà¥à¤¤ के धूमिल कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में देवी मातंगी वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ है। इनकी सवारी जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¨à¤¾ से à¤à¤°à¤¾ शà¥à¤µà¥‡à¤¤ हंस है। इसे साकिनी देवी à¤à¥€ कहा जाता है, जिसने पीतामà¥à¤¬à¤° धारण कर रखा है और धवल वरà¥à¤£ की जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿ से पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ है। इस देवी के पांच मà¥à¤– हैं। पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• मà¥à¤– में तीन-तीन नेतà¥à¤° हैं। इनके हाथ में कमल, पाश, अंकà¥à¤¶, पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• है। यह जà¥à¤žà¤¾à¤¨- मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ में हंस पर सवार है। साकिनी के हृदय सà¥à¤¥à¤² पर, अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ कमल के केनà¥à¤¦à¥à¤° में छोटे शà¥à¤µà¥‡à¤¤ चनà¥à¤¦à¥à¤° की à¤à¤¾à¤‚ति, परनà¥à¤¤à¥ सैकड़ों सूरà¥à¤¯ की दीपà¥à¤¤à¤¿ से यà¥à¤•à¥à¤¤ वृतà¥à¤¤ में शिव अपनी गिरिजा के साथ वृषठपर बैठे हैं। कà¥à¤› तानà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤• यहां अरà¥à¤¦à¥à¤§à¤¨à¤¾à¤°à¥€à¤¶à¥à¤µà¤° की उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ मानते हैं। तनà¥à¤¤à¥à¤° विवरणों में यहां शिव के अनेक रूपों की उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ के वरà¥à¤£à¤¨ मिलते हैं किनà¥à¤¤à¥ पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• में यह संकेत विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ है कि यहां जो शकà¥à¤¤à¤¿ है, वह पà¥à¤°à¥à¤· à¤à¥€ है और नारी à¤à¥€ है। तà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‹à¤£ शकà¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• है। वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• अरà¥à¤¥ इस शकà¥à¤¤à¤¿ चकà¥à¤° के दलों, अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ गà¥à¤£à¥‹à¤‚ की पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ सातà¥à¤µà¤¿à¤• है। इसका आधार à¤à¤¾à¤— आकाश ततà¥à¤¤à¥à¤µ है, जो जà¥à¤žà¤¾à¤¨ और विवेक का दà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤• है। इसके केनà¥à¤¦à¥à¤° में शकà¥à¤¤à¤¿ का वह मूलरूप है, जो (+) à¤à¤µà¤‚ (-) के बीज गà¥à¤£ से वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ है। शरीर का यह वह बिनà¥à¤¦à¥ है, जहां इसकी मà¥à¤–à¥à¤¯ ऊरà¥à¤œà¤¾à¤§à¤¾à¤°à¤¾ में (-) गà¥à¤£ का बीज आ जाता है। इससे नीचे (-) की ओर शकà¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ है। यह शà¥à¤°à¥€à¤¯à¤¨à¥à¤¤à¥à¤° आदि के दो तà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‹à¤£à¥‹à¤‚ की खणà¥à¤¡à¤•à¥‹à¤£à¥€à¤¯ संरचना का वह बिनà¥à¤¦à¥ है, जो अधोगामी तà¥à¤°à¤¿à¤à¥à¤œ की ऊपरी à¤à¥à¤œà¤¾ के केनà¥à¤¦à¥à¤° में है। इससे ऊपर पà¥à¤°à¥à¤· या (+) की सतà¥à¤¤à¤¾ है। सिदà¥à¤§à¤¿ लाठइस चकà¥à¤° की साधना से जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। जà¥à¤žà¤¾à¤¨ सिरà¥à¤« 'ततà¥à¤¤à¥à¤µ-जà¥à¤žà¤¾à¤¨' या 'सदा-शिवजà¥à¤žà¤¾à¤¨' है। शेष सà¤à¥€ à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• जà¥à¤žà¤¾à¤¨ हैं। यहां जà¥à¤žà¤¾à¤¨ का अरà¥à¤¥ ततà¥à¤¤à¥à¤µ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ ही है। इस जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से ही समसà¥à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ इचà¥à¤›à¤¾ और पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ करते ही पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो जाते हैं। इस जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ से मन की वृतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ शानà¥à¤¤ होती हैं। इसकी चंचलता सà¥à¤¥à¤¿à¤° होती है। संकलà¥à¤ª और पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ मातà¥à¤° से सब कà¥à¤› जाना जा सकता है। सब कà¥à¤› पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया जा सकता है, किनà¥à¤¤à¥ इस चकà¥à¤° के जागà¥à¤°à¤¤ होने पर à¤à¤• ही को जानने की इचà¥à¤›à¤¾ वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो जाती है, अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ 'ततà¥à¤¤à¥à¤µ ' की। वह उसकी 'विलकà¥à¤·à¤£' लीला ही मà¥à¤—à¥à¤§ होकर देखता और चिनà¥à¤¤à¤¨ करता रहता है। à¤à¤¸à¤¾ साधक à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में à¤à¤¾à¤‚क सकता है, किसी के मन को पढ़ सकता है, यह सारे à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤ªà¤‚च को पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ करते ही जान सकता है, पर यह पà¥à¤°à¤ªà¤‚च को समठजाता है, इसलिठजानना ही नहीं चाहता। इस पर विपतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ नहीं पड़ता, कà¥à¤°à¥‹à¤§-हिंसा आदि वà¥à¤¯à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤ होने लगते हैं। वह सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ से ही सबका कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ सोचता है (यश लाठका कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ है ही नहीं; कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वहां वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ à¤à¤¾à¤µ नहीं, अपितॠपाखणà¥à¤¡ होता है) । यहां यह सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ करना अनिवारà¥à¤¯ है कि विपतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ नहीं पड़ता, इसका यह अरà¥à¤¥ नहीं कि उस पर विपतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ आती ही नहीं इसका यह अरà¥à¤¥ है कि उन विपतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का, जो पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ सामानà¥à¤¯ मनà¥à¤·à¥à¤¯ पर पड़ता है, जो मानसिक दà¥à¤ƒà¤–, हताशा आदि à¤à¤¾à¤µ उसे दà¥à¤ƒà¤– देता है, वह साधक को पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ नहीं करता; कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि वह जगत-वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° के मूलततà¥à¤¤à¥à¤µ की पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ à¤à¤µà¤‚ विशà¥à¤µ के सतà¥à¤¯ को जानने लगता है। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° कà¥à¤°à¥‹à¤§-हिंसा आदि शानà¥à¤¤ होने का यह अरà¥à¤¥ नहीं कि यह à¤à¤¾à¤µ उसमें होता नहीं। à¤à¤¸à¥‡ साधक की मानसिक शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¬à¤² होती है। वह कà¥à¤°à¥‹à¤§à¤¿à¤¤ नहीं होता, हिंसक नहीं होता। इसलिठनहीं होता कि इन सब à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ का शमन हो जाता है, किनà¥à¤¤à¥ बीज विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ होते हैं और यदि ये वृकà¥à¤· अंकà¥à¤°à¤¿à¤¤ हो गये, तो à¤à¤¸à¤¾ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ कà¥à¤› à¤à¥€ कर सकता है। यह सबसे पà¥à¤°à¥‡à¤® करता है, सबको कà¥à¤·à¤®à¤¾ करता है, पर मà¥à¤‚ह फेर ले, तो कà¤à¥€ उसके बारे में सोचता तक नहीं, जिससे मà¥à¤‚ह फेर लिया है। विशेष 'योग' विवरण में कई योगी छोटे वृतà¥à¤¤ में विशà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤µà¤¾ के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर शेषनाग पर लेटे विषà¥à¤£à¥ à¤à¤µà¤‚ सेवारत लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ का उलà¥à¤²à¥‡à¤– करते हैं। रामानà¥à¤œ की वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ à¤à¥€ यही है। इसका अरà¥à¤¥ à¤à¥€ वही है, जो विशà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤µà¤¾ या अरà¥à¤¦à¥à¤§à¤¨à¤¾à¤°à¥€à¤¶à¥à¤µà¤° का है।