अनाहत चकà¥à¤° संरचना यह सà¥à¤·à¥à¤®à¥à¤¨à¤¾ नाड़ी में हृदय के मूल से जà¥à¤¡à¤¼à¤¾ है। इसके कमल के चारों ओर बारह दल होते हैं। इसका रंग नारंगी आà¤à¤¾ से यà¥à¤•à¥à¤¤ लाल होता है। इसके केनà¥à¤¦à¥à¤° में दो तà¥à¤°à¤¿à¤à¥à¤œ के समान आकृतियां à¤à¤•-दूसरे से इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° मिली होती हैं इसे अनाहत चकà¥à¤° इसीलिठकहा जाता है कि यहां धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ लगाने पर बिना सोये उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ धà¥à¤µà¤¨à¤¿à¤¨à¤¾à¤¦ सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ पड़ता है। जो पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤µà¤¾à¤¯à¥ के चकà¥à¤° को कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤¶à¥€à¤² बनाता है। यह दया, पà¥à¤°à¥‡à¤®, ममता, à¤à¤¾à¤µà¥à¤•à¤¤à¤¾, इचà¥à¤›à¤¾à¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿ को नियनà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¤ करने वाला चकà¥à¤° है। यहां विषà¥à¤£à¥ का निवास सà¥à¤¥à¤² है। यह अपनी पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿ à¤à¤µà¤‚ शारीरिक ऊरà¥à¤œà¤¾ का उपयोग करता है। अनेक पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨à¤¶à¤¾à¤¸à¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° यहां ईशà¥à¤µà¤° का निवास होता है। इस जीवातà¥à¤®à¤¾ का आधार अनाहत चकà¥à¤° है; कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यहीं से वह ऊपर शीरà¥à¤· की ओर खड़ा वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ है। शà¥à¤°à¥€à¤šà¤•à¥à¤° में जिन दो तà¥à¤°à¤¿à¤à¥à¤œà¥‹à¤‚ को षडà¥à¤•à¥‹à¤£à¥€à¤¯ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में दरà¥à¤¶à¤¾à¤¯à¤¾ जाता है, उसमें ऊपर का तà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‹à¤£ 'आतà¥à¤®à¤¾' है और जिसका शीरà¥à¤· मसà¥à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤• को ही आधार बनाकर ऊपर की ओर खड़ा है। जड़ पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ में à¤à¥€ इसकी यही सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ है। अतः यदि इस जीवातà¥à¤®à¤¾ का निवास हृदय में माना जाता है, निवास सà¥à¤¥à¤² केनà¥à¤¦à¥à¤° ही माना जाता है,l देवी-देवता तनà¥à¤¤à¥à¤° विवरण इस चकà¥à¤° के कमल दल में à¤à¤¶à¥à¤µà¤°à¥à¤¯, à¤à¥‹à¤—, आननà¥à¤¦ आदि की देवियों का निवास है। कमल के वृतà¥à¤¤ में रà¥à¤¦à¥à¤° हैं, जो हाथों में अमृत लिये हà¥à¤ हैं। षडà¥à¤•à¥‹à¤£ में काकिनी देवी का निवास है। इसके अनà¥à¤¦à¤° के कोण में विकसित शिवलिंग है, जो शिव à¤à¤µà¤‚ शकà¥à¤¤à¤¿ के संयोग से उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होता है। अनेक आधà¥à¤¨à¤¿à¤• विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ ने इन चकà¥à¤°à¥‹à¤‚ की यूरोपियन वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ (कà¥à¤› यूरोपियन विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ ने à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ पराविजà¥à¤žà¤¾à¤¨ के समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ में शोध किया है) à¤à¤µà¤‚ तनà¥à¤¤à¥à¤° कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ में इस साधना के लिठपà¥à¤°à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ की जाने वाली समà¥à¤à¥‹à¤— शकà¥à¤¤à¤¿ के पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— को आधार बनाकर षडà¥à¤•à¥‹à¤£à¥€à¤¯ चकà¥à¤°à¥‹à¤‚ में अधोगामी तà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‹à¤£ को योनि और उरà¥à¤§à¥à¤µà¤—ामी तà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‹à¤£ को लिंग कहा है। यह à¤à¥à¤°à¤® इसलिठà¤à¥€ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤† है कि 'षडà¥à¤šà¤•à¥à¤°-निरà¥à¤ªà¤£' आदि कà¥à¤› पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में इसकी वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की गयी है, किनà¥à¤¤à¥ यह वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ इन तà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‹à¤£à¤°à¥‚पी शकà¥à¤¤à¤¿ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° की कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ आदि को वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ करने के लिठदी गयी है। यह शकà¥à¤¤à¤¿ à¤à¤µà¤‚ शिव का संयोग (समà¥à¤à¥‹à¤—) ही है और यहां समसà¥à¤¤ कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ रति की ही à¤à¤¾à¤‚ति होती है। पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ ने इसी कारण लिंग à¤à¤µà¤‚ योनि की उपमा देते हà¥à¤ इसे समà¤à¤¾à¤¯à¤¾ है। इसे सà¥à¤¥à¥‚ल समà¥à¤à¥‹à¤— की योनि à¤à¤µà¤‚ लिंग पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ समà¤à¤¨à¤¾ à¤à¤¾à¤°à¥€ à¤à¥‚ल है। विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ तनà¥à¤¤à¥à¤° गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में कहा गया है कि जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° योनि में लिंग समाया होता है, उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° उरà¥à¤§à¥à¤µà¤—ामी ऊरà¥à¤œà¤¾ तà¥à¤°à¤¿à¤à¥à¤œ अधोगामी तà¥à¤°à¤¿à¤à¥à¤œ में समाया हà¥à¤† है और जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° धनà¥à¤· से बाण छूटकर तीवà¥à¤°à¤—ति से ऊपर जाता है, उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° वीरà¥à¤¯ (आतà¥à¤®à¤¾ की लहरें) ऊपर की ओर निरनà¥à¤¤à¤° छूटता रहता है। इस लिंग तà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‹à¤£ के शीरà¥à¤· पर अरà¥à¤¦à¥à¤§à¤šà¤¨à¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤•à¤¾à¤° छिदà¥à¤° है, इसके केनà¥à¤¦à¥à¤° में जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤®à¤¯ शिवलिंग है। यदि धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ देंगे, तो सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ हो जायेगा कि यह सà¥à¤¥à¥‚ल समà¥à¤à¥‹à¤— कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ का वरà¥à¤£à¤¨ नहीं है। यदि अधोगामी तà¥à¤°à¤¿à¤à¥à¤œ को योनि का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• मानते हैं, तो à¤à¤¾à¤°à¥€ समसà¥à¤¯à¤¾ खड़ी हो जायेगी। सà¥à¤¥à¥‚ल समà¥à¤à¥‹à¤— में लिंग का शीरà¥à¤· योनि के अनà¥à¤¦à¤° होता है। योनि से निकलकर ऊपर नहीं जाता। इस दशा में तो ऊपरी तà¥à¤°à¤¿à¤à¥à¤œ के शीरà¥à¤· को à¤à¥€ नीचे होना चाहिठथा और आधार को ऊपर। काकिनी देवी वह ऊरà¥à¤œà¤¾à¤¶à¤•à¥à¤¤à¤¿ है, जो इस संयोग के कारण केनà¥à¤¦à¥à¤° षटà¥à¤•à¥‹à¤£ में विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ है। यह वह विदà¥à¤¯à¥à¤¤à¥€à¤¯ शकà¥à¤¤à¤¿ है, जिसे पà¥à¤°à¤¾à¤£ ऊरà¥à¤œà¤¾ कहा जा सकता है। तनà¥à¤¤à¥à¤° में इसके बारे में कहा गया है कि यह विदà¥à¤¯à¥à¤¤ की à¤à¤¾à¤‚ति आतà¥à¤® से यà¥à¤•à¥à¤¤ चकाचौंध उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करने वाली तà¥à¤°à¤¿à¤¨à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥€ देवी है। इसके à¤à¤• हाथ में कपाल है, दूसरे में पाश उसके दो हाथ वरदान देने की मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ में हैं। यह देवी निरनà¥à¤¤à¤° अमृत का पान करती है, इसलिठयह कोमल हृदया है। मनà¥à¤¤à¥à¤°- ॠसिदà¥à¤§ मंतà¥à¤° की जानकारी के लिठसंपरà¥à¤• कीजिà¤à¤—ा तनà¥à¤¤à¥à¤° विवरण तनà¥à¤¤à¥à¤° के विवरणों में कहा गया है कि कमलदल à¤à¥‹à¤— की देवियों का निवास है। यह कथन योग के ही अरà¥à¤¥ को पà¥à¤·à¥à¤Ÿ करता है। कमल के वृतà¥à¤¤ में रà¥à¤¦à¥à¤° की उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ बतायी गयी है। यह à¤à¥€ अगà¥à¤¨à¤¿à¤°à¥‚प ही है। यहां विधà¥à¤µà¤‚स की कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ होती रहती है और यह रà¥à¤¦à¥à¤° का ही गà¥à¤£ है। इस विधà¥à¤µà¤‚स से अमृत निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ होता है, जिसका पान काकिनी करती है, जो षटà¥à¤•à¥‹à¤£ में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। काकिनी के रूप विवरण में इस शकà¥à¤¤à¤¿ रूप के गà¥à¤£à¥‹à¤‚ की अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की गयी है। इस शकà¥à¤¤à¤¿à¤°à¥‚प से केनà¥à¤¦à¥à¤° में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤®à¤¯ शिवलिंग पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤µà¤¾à¤¨ है, जो वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• à¤à¥‹à¤— कर रहा है। सिदà¥à¤§à¤¿ लाठयोग से गूढ़ साधनाओं, विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ गà¥à¤°à¤¹à¥à¤¯ विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं, गहन सूतà¥à¤°à¥‹à¤‚, उलà¤à¤¨à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ पेचीदी विदà¥à¤¯à¤¾ या सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को हल करने की मानसिक शकà¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है। बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ ततà¥à¤¤à¥à¤µ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को समà¤à¤¨à¥‡ योगà¥à¤¯ हो जाता है। इस चकà¥à¤° की साधना से करà¥à¤®à¤ ता, आदरà¥à¤¶, कलà¥à¤¯à¤¾à¤£, पà¥à¤°à¥‡à¤®, दया, करà¥à¤£à¤¾, उलà¥à¤²à¤¾à¤¸, उमंग आदि की वृदà¥à¤§à¤¿ होती है। वह सरà¥à¤µà¤¦à¤¾ आननà¥à¤¦à¤¿à¤¤ रहता है। योग में कहा गया है कि संसार के à¤à¥‹à¤—ों का वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• आननà¥à¤¦ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने वाला पराकà¥à¤°à¤®à¥€ à¤à¥‹à¤•à¥à¤¤à¤¾ वही है, जिसका यह चकà¥à¤° जागà¥à¤°à¤¤ है। यह à¤à¤¶à¥à¤µà¤°à¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ à¤à¥‹à¤—ों को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने की ही शकà¥à¤¤à¤¿ नहीं देता, अपितॠयह उसे à¤à¥‹à¤—ने की à¤à¥€ शकà¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करता है और उससे वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• आननà¥à¤¦ उठाने की à¤à¥€à¥¤ लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€ (धन, वैà¤à¤µ, à¤à¤¶à¥à¤µà¤°à¥à¤¯, पà¥à¤°à¤à¥à¤¤à¤¾, वीरता, महतà¥à¤¤à¤¾ आदि गà¥à¤£à¥‹à¤‚ की देवी) इसकी दासी होती है। शरीर की सà¤à¥€ वृतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ साधक के नियनà¥à¤¤à¥à¤°à¤£ में रहती हैं। यह चकà¥à¤° मन का à¤à¥€ नियनà¥à¤¤à¥à¤°à¤£à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ है। फलतः यह मन को जिस ओर सकà¥à¤°à¤¿à¤¯ करता है, उसमें गहनता तक उतरता चला जाता है। इसी कारण यह वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• à¤à¥‹à¤•à¥à¤¤à¤¾ है; कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि यह पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• à¤à¥‹à¤— को गहराई में जाकर à¤à¥‹à¤—ता है। रति के समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ में à¤à¥€ इसकी यही सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ है। रति करते समय यह मन को गहनतम गहराई तक डà¥à¤¬à¤¾ देता है और गिरने से पहले ही ऊपर उठा लेता है और बार बार यह कर सकता है। इस कारण यह दीरà¥à¤˜à¤•à¤¾à¤² तक रति का गहन सà¥à¤– पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर सकता है। इसीलिठइससे रति करने के लिठकामिनियां सरà¥à¤µà¤¸à¥à¤µ निछावर कर सकती हैं। इस चकà¥à¤° की साधना से योग या विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की साधना को कर सकने, दृढ़संकलà¥à¤ª से किसी करà¥à¤® को करने, संघरà¥à¤· करने, सफलता पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने की शकà¥à¤¤à¤¿ आदि की असीम वृदà¥à¤§à¤¿ होती है। उपरà¥à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ सà¤à¥€ गà¥à¤£ वैदिक दरà¥à¤¶à¤¨ में विषà¥à¤£à¥ के माने गये हैं। इसीलिठइस चकà¥à¤° की वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ करते हà¥à¤ कà¥à¤› ऋषियों ने कहा है कि यदि इस चकà¥à¤° में कà¥à¤£à¥à¤¡à¤²à¤¿à¤¨à¥€ धारण किया गया, तो साधक महायोगी, ततà¥à¤¤à¥à¤µà¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€, वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• à¤à¥‹à¤•à¥à¤¤à¤¾ विषà¥à¤£à¥ रूप हो जाता है।