जटामांसी

जटामांसी

जटामांसी का प्रयोग डिप्रेशन में फ़ायदेमंद होता है क्योंकि रिसर्च के अनुसार इसमें एंटी – डिप्रेशन का गुण पाया जाता है। ...

जटामांसी इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए एक अच्छा उपाय है।

जटामांसी रक्तचाप की अदभुत बूटी है, जिसे भूतजटा, जटिला व तपस्वी भी कहते है। यह सदाबहार बूटी है। जटामांसी का अनिद्रा, हृदय रोग, उन्माद (पागलपन) तथा बालों पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता है। चक्कर आना, नाड़ी की दुर्बलता दूर करने में यह आदर्श औषधि है।

कई प्रकार की गंभीर सेक्स संबंधी समस्याओं में एक कारगर औषधि है जटामांसी

जटामांसी का वैज्ञानिक नाम Nardostachys jatamansi है। यह हिमालय और पश्चिमी बंगाल में गंगा तट पर उगने वाला एक सपुष्पी औषधीय पादप है।

इसका उपयोग तीक्ष्ण गंध वाला इत्र बनाने में होता है। इसे जटामांसी इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसकी जड़ों में जटा यानी बाल जैसे तंतु लगे होते हैं। इसे बालछड़ नाम से भी जाना जाता है।

यह एक खूशबूदार शाक है, जिसका संबंध वैलेरियन परिवार से है। इस परिवार के शाक व्याकुलता और घबराहट से संबंधित समस्याओं को कम करने के लिए जाने जाते हैं। जटामांसी दर्दनाशक और अवसादरोधी है। यह न्यूरोसिस सेक्सुअल न्यूरास्थेनिया की समस्या में सबसे ज्यादा प्रभावी औषधि के रूप में जाना जाता है। 

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  2. जटामांसी का ज्यादा उपयोग करने से गुर्दों को हानि पहुंच सकती है और पेट में कभी भी दर्द शुरू हो सकता है।
  3. जटामांसी का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करने से बचें नहीं तो उल्टी, दस्त जैसी बीमारियां आपको परेशान कर सकती हैं
  4. जटामांसी के अत्यधिक उपयोग से एलर्जी हो सकती है।
  5. यदि आपकी त्वचा संवेदनशील है तो जटामांसी का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें। अन्यथा एलर्जी का खतरा हो सकता है।


प्रयोग करने के नुस्खे

इस जड़ी-बूटी को पाउडर के रूप में लिया जाता है। इसके

पाउडर की चौथाई चम्मच मात्रा को शहद के साथ लिया जाता है। इसके अलावा इसे चार से पांच घंटे तक पानी में रखने के बाद सोते समय आसव या अर्क के रूप में लिया जाता है। यदि कोई व्यक्ति नपुंसकता की गंभीर समस्या से परेशान है तो जटामांसी, जायफल, सोंठ और लौंग को समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण का रोजाना दिन में तीन बार सेवन करने से नपुंसकता से छुटकारा मिलता है।

इसको चूर्ण रूप में एक या दो चाय के चम्मच की मात्रा में ले सकते हैं या काढ़े के रूप में शहद के साथ भी ले सकते हैं । काढ़ा बनाने के लिए गिनती में तीन या चार टुकड़े लेकर किसी मिट्टी के बर्तन में एक गिलास पानी के साथ तब तक उबालें जब तक पानी आधा न रह जाए।

जटामांसी का चूर्ण आपकी पाचन शक्ति को भी अच्छा रखने में सहायता करता है। ...
जटामांसी तनाव को दूर करने की एक जानीमानी औषधि है। ...

गंजेपन और सफेद बालों के लिये फायदेमंद जटामांसी 
आजकल बालों की ऐसी समस्याएं आम हो गई है। प्रदूषण, असंतुलित आहार-योजना,  à¤¤à¤°à¤¹-तरह के कॉज़्मेटिक्स के इस्तेमाल का सीधा प्रभाव बालों पर पड़ता है और फिर सफेद बाल या गंजेपन की समस्या से जुझना पड़ जाता है। इसके लिए घरेलू उपाय के तौर पर समान मात्रा में जटामांसी, बला, कमल तथा कूठ को पीसकर सिर पर लेप करने से बालों का गिरना कम हो जाता है और असमय बालों का सफेद होना भी कम होता है।

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