मेष लग्न में केतु की स्थिति प्रथम स्थान में

मेष लग्न में केतु की स्थिति प्रथम स्थान में

मेष लग्न के प्रथम स्थान में केतु मेष राशि का होकर मंगल के घर में होगा। ऐसा जातक धनवान होता है। तरक्की अधिक तबदीली कम, पिता का पहला पुत्र भाइयों में बड़ा होगा। लम्बी यात्राएं करने वाला, पिता एवं बृहस्पति से लाभ पाने वाला सुखी जातक होता है। लग्न में केतु व्यक्ति को बनता है। ऐसा जातक मामा (बांधवों) को तकलीफ पहुंचाता है।

 

निशानी हर समय बच्चे बनने वाला। पिता के साथ रहने वाला अथवा चेहरे (सिर) पर शहद जैसे रंग का तिल होता है।

अनुभव-सूर्य-मंगल और बृहस्पति केतु के मित्र हैं। केतु की उच्चराशि धनु, नीच राशि मिथुन है। कई विद्वान केतु की उच्चराशि वृश्चिक मानते हैं क्योंकि यह 'कुजवत्' काम करता है। केतु 'ध्वजा' को कहते हैं, फलत: केतु कीर्ति का प्रतीक है। यश देने वाला ग्रह है। यह राहु जितना अशुभ नहीं होता है। लग्न में केतु होने के कारण 'भोज संहिता' के अनुसार आगे बढ़ने की महत्त्वाकांक्षा प्रतिपल बनी रहेगी।

दशा- केतु की दशा शुभफल देगी।

केतु का अन्य ग्रहों से संबंध

1. केतु सूर्य - यहां केतु के साथ सूर्य उच्च का होकर 'रविकृत राजयोग' बनाएगा। ऐसा जातक तेजस्वी व यशस्वी होगा। सरकारी में ऊंचा पद प्राप्त करेगा। केतु चन्द्र- यहां केतु के साथ चन्द्रमा माता को बीमार करेगा। 2.

3. केतु + मंगल- यहां केतु के साथ मंगल होने से 'रुचक योग' बनेगा। ऐसा

जातक राजा के समान पराक्रमी होगा।

केतु + बुध-यहां केतु के साथ बुध जातक को पराक्रमी बनाएगा। केतु बृहस्पति-केतु के साथ बृहस्पति जातक की प्रतिष्ठा बढ़ाएगा। 5.

4.

केतु-शुक्र-केतु के साथ शुक्र जातक को सुन्दर पत्नी देगा। 7. केतु+शनि-यहां केतु के साथ शनि नीच का होगा। जातक हठी व लड़ाकू होगा।

6.

उपाय- 1. केतु के तांत्रिक मंत्र के एक लाख सत्रह हजार जा कर दशांश हवन, कुशा, तिल, कस्तूरी व कपूर से करें।

2. शनिवार के दिन काले कपड़े का दान करें।

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