मेष लग्न में केतु की स्थिति चतुर्थ स्थान में

मेष लग्न में केतु की स्थिति चतुर्थ स्थान में

 

मेष लग्न के चतुर्थ स्थान में केतु कर्क राशि का होगा। कर्क राशि जलसंज्ञक एवं चर राशि है। जातक तीव्रगामी होगा, धनवान होगा, उच्च वाहन एवं मकान सुख से सम्पन्न होगा।

जातक का जन्म माता के लिए शुभ होगा। जातक दृढ़ निश्चयी होगा। परन्तु प्रथम सन्तति विलम्ब से होगी। जातक पिता एवं गुरु का सेवक होगा।

निशानी- बच्चों को डराने वाला कुत्ता। जातक की छाती पर शहद जैसे रंग का तिल या दाग होगा।

अनुभव - 'भोज संहिता' के अनुसार चतुर्थ भाव में कर्क राशिगत केतु व्यक्ति को सुख प्राप्ति, भौतिक ऐश्वर्य एवं वस्तुओं की प्राप्ति हेतु तीव्र रूप से लालायित जीवन पर्यन्त बनाए रखता है।

 

दशा-केतु की दशा शुभफल देगी।

 

केतु का अन्य ग्रहों से संबंध

 

1. केतु+सूर्य- यहां केतु के साथ सूर्य वाहन दुर्घटना का भय देगा।

2. केतु+चन्द्र- यहां केतु के साथ स्वगृही चन्द्रमा माता को सुख देता है पर माता को जल या श्वास की बीमारी होगी। 

3. केतु+मंगल- यहां केतु के साथ मंगल जातक को साहसी व लड़ाकू बनाएगा।

4. केतु बुध-  यहां केतु के साथ बुध जातक का झगड़ा मामा, से मातृपक्ष कराएगा।

5. केतु+बृहस्पति-केतु के साथ बृहस्पति उच्च का 'हंस योग' बनाएगा। ऐसा जातक राजा के समान पराक्रमी व यशस्वी होगा।

6. केतु + शुक्र-केतु के साथ शुक्र होने से जातक परिवार का नाम रोशन करेगा। उसके पास उत्तम वाहन होगा।

7. केतु शनि-केतु के साथ शनि होने से जातक के पास उत्तम मकान होगा।

 

उपाय- 1. केतु अष्टोत्तरशत नामावली का हवनात्मक प्रयोग करें।

2. दुर्घटना से बचने के लिए वाहन पर मारुति यंत्र लगावें।

3. शनिवार के दिन चितकबरे कुत्तों को मीठी रोटी खिलावें ।

4. बृहस्पतिवार के दिन कुलपुरोहित को पीले वस्त्र व पीला

भोजन भेंट करें।

 

और जानने के लिए +91 9630212111

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