मेष लग्न में केतु की स्थिति तृतीय स्थान में

मेष लग्न में केतु की स्थिति तृतीय स्थान में

 

मेष लग्न के तृतीय स्थान में केतु मिथुन राशि में होगा। मिथुन राशि वायुतत्त्व वाली एवं द्विस्वभाव राशि होती है। ऐसा जातक सबको तारने वाला भाई-बहनों के लिए शुभ होता है। ऐसे जातक के के स्वभाव की एक विशेषता यह है अपने ऊपर की गई नेकी को याद रखता है और बुराई को भूल जाता है। ऐसा जातक उच्च पदाधिकारी एवं पराक्रमी होता है। यदि कोई व्यवधान न हो तो एक या तीन नर सन्तान से युक्त होता है। 

निशानी-टुन-टुन करते रहने वाला कुत्ता। ऐसे जातक के दाएं (बाजू) हाथ पर शहद जैसे रंग का तिल या दाग होता है।

अनुभव-भोज संहिता के अनुसार तृतीय स्थान में केतु होने से जीवन पर्यन्त यश (कीर्ति) प्राप्ति के लिए तड़पता (लालायित) रहेगा। केतु की नीच राशि मिथुन है। फिर यहां शुभफल देगा।

दशा-केतु की दशा शुभ होगी। कीर्तिदायक होगी।

 

केतु का अन्य ग्रहों से संबंध

 

1. केतु+सूर्य- यहां केतु के साथ सूर्य जातक के मित्र पराक्रमी होंगे।

2. केतु + चन्द्र- यहां केतु के साथ चन्द्रमा होने से जातक के स्वजन ही शत्रु होंगे।

3. केतु+मंगल- यहां केतु के साथ मंगल जातक को भाइयों से लाभ होगा।

4. केतु + बुध - यहां केतु के साथ बुध जातक को लेखन व अन्य कार्यों में यश दिलाएगा।

5. केतु + बृहस्पति - केतु के साथ बृहस्पति जातक को भाग्यशाली व्यक्ति बनाएगा।

6. केतु शुक्र - केतु के साथ शुक्र जातक को स्त्री-मित्रों से लाभ दिलाएगा।

7. केतु + शनि-यहां केतु के साथ शनि होने से जातक का पराक्रम व्यापार द्वारा बढ़ाएगा।

 

उपाय- 1. भाई-बहनों के साथ विनम्र एवं सद्-व्यवहार बनाए रखें।

2. अजनबी लोगों व मित्रों पर अत्यधिक भरोसा न करें।

3. अश्वगंधा की जड़ अभिमंत्रित कर ताबीज में धारण करने से यश की प्राप्ति होगी।

4. केसर चंदन का तिलक नाभि व मस्तिष्क पर लगावें तो किस्मत खुलेगी ।।

 

और जानने के लिए +91 9630212111

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