मेष लग्न में केतु पंचम स्थान में

मेष लग्न में केतु की स्थिति पंचम स्थान में

मेष लग्न के पंचम स्थान में केतु सिंह राशि में होगा। सिंह राशि अग्निसंज्ञक एवं स्थिर स्वभाव की राशि है। जातक धार्मिक विचारों वाला गुरुभक्त एवं आस्तिक होगा। जातक धनवान होगा एवं अधिक सन्तति युक्त होगा परन्तु एक सन्तति की अपरिपक्व अवस्था में मृत्यु होगी।

 

अनुभव-'भोज संहिता' के अनुसार पंचम भावस्थ सिंहराशिगत केतु व्यक्ति को à¤œà¥€à¤µà¤¨ पर्यन्त सुयोग्य सन्तति प्राप्ति हेतु लालायित रखता है। जातक ज्ञान पिपासु होता है तथा प्रतिपल उत्तम ज्ञान की प्राप्ति हेतु लालायित (उत्कण्ठित) रहता है।

 

निशानी-अपनी रोटी के टुकड़े के लिए बृहस्पति का निगरान। जातक के पेट या पीठ पर शहद जैसे रंग का तिल होगा।

दशा-केतु की दशा शुभ फल देगी।

 

केतु का अन्य ग्रहों से संबंध

1. केतु+सूर्य-यहां केतु के साथ स्वगृही सूर्य जातक को विद्या में तेजस्वी बनाएगा। जातक पुत्रवान होगा पर पुत्र विलम्ब से होगा।

2. केतु+चन्द्र-केतु के साथ चन्द्रमा जातक को मानसिक चिन्ता कराएगा। जातक के विद्या में बाधा आएगी।

3. केतु मंगल- यहां केतु के साथ मंगल जातक को तीन पुत्र देगा जबकि एक-दो गर्भपात संभव है।

4. केतु + बुध-यहां केतु के साथ बुध जातक को उत्तम बुद्धि विद्या देगा पर शैक्षणिक उपाधि में बाधा आएगी।

5. केतु + बृहस्पति-केतु के साथ बृहस्पति व्यक्ति को उत्तम विद्या ज्ञान देगा। शैक्षणिक उपाधि में कमी रहेगी।

6. केतु-शुक्र-केतु के साथ शुक्र व्यक्ति को कन्या सन्तति देगा।

7. केतु-शनि केतु के साथ शनि होने से या सन्तति देगा एवं जातक व्यापारप्रिय होगा।

 

उपाय- 1, पितृदोष या कालसर्पयोग की शांति करवाएं।

2. केतु शांति प्रयोग करें।

3. केतु के वैदिक मंत्रों का हवनात्मक प्रयोग करें तथा केतु संबंधी वस्तुओं का दान करें।

 

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