मेष लग्न में षष्ठ स्थान में

मेष लग्न में केतु की स्थिति पष्ठ स्थान में

मेष लग्न में पष्ठ स्थान में केतु कन्या राशि का होगा। कन्या राशि पृथ्वी संज्ञक, द्विस्वभाव राशि है। जातक का जन्म ननिहाल के लिए शुभ होगा। जातक जन्म स्थान से दूरस्थ प्रदेशों विदेशों में उन्नति पाने वाला होता है। जातक धनवान होता है। एवं शत्रुओं पर विजय पाने में सक्षम होता है। ऐसा जातक उत्साही एवं सेवा करने की भावना से ओत-प्रोत व्यक्ति होता है।


अनुभव-'भोज संहिता' के अनुसार छठे भाव में स्थित कन्या राशि गत केतु व्यक्ति को जीवनपर्यन्त शत्रुओं के नाश हेतु लालायित रखता है। शत्रु नहीं हों तो रोग अवश्य होगा। जातक रोग की समूल निवृत्ति हेतु सदैव प्रयत्नशील रहेगा। 

निशानी दो रंगी दुनिया। जातक की नाभि के पास शहद जैसे रंग का तिल या दाग होगा। ऐसा जातक कुत्तों से डरता है। दशा-केतु की दशा शुभफल देगी। जातक चेष्टावान बना रहेगा।

केतु का अन्य ग्रहों से संबंध

1. केतु सूर्य- यहां केतु के साथ सूर्य उत्तम विद्या एवं उत्तम सन्तति दोनों में बाधक है।

2. केतु+चन्द्र- यहां केतु के साथ चन्द्रमा माता की अल्पायु कराता है। जातक को मूत्ररोग होगा।

3. केतु+मंगल - यहां केतु के साथ मंगल 'लग्नभंगयोग' बनाता है। जातक को परिश्रम का लाभ नहीं मिलेगा।

4. केतु+बुध-यहां केतु के साथ बुध 'पराक्रमभंग योग' बनाता है। साथ ही 'विपरीत राजयोग' के कारण जातक धनवान होगा।

5. केतु + बृहस्पति - केतु के साथ बृहस्पति 'भाग्यभंग योग' बनाता है ऐसा जातक भौतिक सुख-सुविधाओं व ऐश्वर्य से सम्पन्न होगा पर जीवन संघर्षशील रहेगा।

6. केतु + शुक्र-केतु के साथ शुक्र 'विलम्बविवाह' का योग कराता है। जातक को जीवनसाथी का सुख कम ही प्राप्त होगा।


7. केतु + शनि-केतु के साथ शनि होने से जातक के जीवन में व्यापार से दो बार बदलाव कराएगा। 


उपाय- 1. केतु कवच का नित्य पाठ करें।

2. काला कुत्ता पालें या शनिवार के दिन काले कुत्ते को दूध रोटी

खिलावें । 3. लहसुन या प्याज शनिवार से शुक्रवार छह दिन तक जल में प्रवाहित करें।

4. अपनी बहन, बुआ, पुत्री, मासी, दोहितें, भाणजे को खुश रखें।

 

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