मेष लग्न में केतु सप्तम स्थान में

मेष लग्न में केतु की स्थिति सप्तम स्थान में

 

मेष लग्न के सप्तम भाव में केतु तुला राशि में होगा। तुला राशि चर राशि एवं वायुसंज्ञक है। ऐसा जातक साहसी होता है तथा शेर से मुकाबला करने की शक्ति रखता है। ऐसे जातक के जितने बहन-भाई होंगे उतनी ही सन्तानें होंगी। 40 वर्ष की आयु तक धन बढ़ता रहेगा। जातक के पास सब कुछ होते à¤¹à¥à¤ भी रोता रहेगा। इससे उसकी सन्तान पर बुरा असर होगा।

 

अनुभव - भोज संहिता के अनुसार ऐसा जातक सुन्दर पत्नी की प्राप्ति हेतु लालायित रहेगा। यदि जातक विवाहित होगा तो अपने जीवनसाथी से विविध प्रकार के सुख-ऐश्वर्य की प्राप्ति होते इच्छातुर रहेगा। पर उसकी इच्छा तृप्त नहीं होगी। निशानी- शेर का मुकाबला करने वाला कुत्ता । जातक के गुप्तांग पर शहद जैसे रंग का तिल व दाग होता है।

 

दशा-केतु की दशा अच्छा फल देगी।

केतु का अन्य ग्रहों से संबंध

 

1. केतु सूर्य- यहां केतु के साथ सूर्य एक हजार राजयोग नष्ट करेगा। जातक के वैवाहिक सुख में कमी रहेगी।

2. केतु चन्द्र- यहां केतु के साथ चन्द्रमा माता को कष्टमय जीवन देगा।

3. केतु+मंगल - यहां केतु के साथ मंगल कुंडली को 'डबल मंगलीक ' बनाएगा। प्रथमत: जातक का विवाह देरी से होगा। फिर गृहस्थ सुख में कमी रहेगी।

4. केतु+बुध-केतु के साथ बुध जातक का जीवनसाथी बुद्धिमान व सुन्दर देगा।

5. केतु + बृहस्पति - केतु के साथ बृहस्पति जातक को आध्यत्मिक विद्या का जानकार एवं जीवनसाथी को वफादार बनाएगा।

6. केतु + शुक्र-केतु के साथ शुक्र 'मालव्य योग' बनाएगा। ऐसा जातक राजा के सामन पराक्रमी एवं ऐश्वर्यशाली होगा।

7. केतु + शनि-केतु के साथ शनि 'शश योग' बनाएगा। ऐसे जातक का जीवन साथी शक्तिशाली होगा। जातक स्वयं राजा के समान ऐश्वर्यशाली होगा।

 

उपाय- 1. केतु विंशति नाम का पाठ करें।

2. पूर्ण वैवाहिक सुख की प्राप्ति हेतु अष्टोतरशतनामावली का हवनात्मक प्रयोग करें।

 

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